हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको Labour Welfare in hindi के बारे में बताया गया है की क्या होता है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है
Contents
- श्रमिक कल्याण (Labour Welfare)
- श्रमिक कल्याण का उद्देश्य/महत्व (Objectives/Importance of Labour Welfare)
- 1. कार्यक्षमता में वृद्धि (Increase in Working Capacity)
- 2. आर्थिक दशा में सुधार (Improvement in Economic Condition)
- 3. बेहतर कार्यदशायें (Better Working Conditions)
- 4. श्रमिकों की अनुपस्थिति तथा फेर-बदल में कमी (Reduction in Labour Turnover and Absenteeism)
- 5. नियोक्ता एवं श्रमिकों के मध्य अच्छे सम्बन्ध (Better Relation between Employer and Labour)
- 6. श्रमिकों को शिक्षित करने के लिए (To make Educated Labour)
- 7. श्रमिक संघों की उन्नति के लिए (For the Progress of Trade Unions)
श्रमिक कल्याण (Labour Welfare)
परिभाषायें (Definitions)– श्रमिक कल्याण कार्यक्रम के अन्तर्गत श्रमिकों और कर्मचारियों को उनके वेतन के अतिरिक्त अन्य अनेक प्रकार के लाभ दिये जाते हैं जिन्हें श्रमिक कल्याण, कर्मचारी-सेवा, हित-लाभ कार्यक्रम, गुप्त पेरोल (Hidden PATTOIL) आदि नामों से जाना जाता है। श्रमिक कल्याण को सर्वमान्य परिभाषा देना मुश्किल कार्य है फिर भी विभिन्न विद्वानों तथा संगठनों द्वारा श्रमिक कल्याण को निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है
1श्रम जाँच समिति 1945 के अनुसार, “श्रमिकों के शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और नैतिक कल्याण के उद्देश्य से किया गया कोई कार्य जो वैधानिक कानून तथा नियोक्ता और श्रमिकों मध्य हये एग्रीमेन्ट/करार के अन्तर्गत वर्णित लाभों के अतिरिक्त हो, चाहे वह नियोक्ताओं, सरकार अथवा अन्य संस्थाओं द्वारा किया गया हो, श्रमिक कल्याण (Labour Welfare) कहलाता हैं।”
2. ब्यूरो ऑफ लेबर स्टेटेस्टिक्स (Bureau of Labour Statistics) के अनुसार, “श्रमिकों के आराम तथा बौद्धिक व शारीरिक विकास हेतु मजदूरी के अतिरिक्त किया गया ऐसा कोई कार्य, जो उद्योग के लिए करना कानूनन आवश्यक न हो, श्रम कल्याण कहलाता है।”
3. बाल्फर (Balfur) समिति के अनुसार, “श्रमिक कल्याण के अन्तर्गत श्रमिकों के आराम, सरक्षा, स्वास्थ्य तथा कल्याण को प्रभावित करने वाली सभी बातों को सम्मिलित किया जाता है तथा इसमें शिक्षा, मनोरंजन, बचत योजनाओं तथा स्वास्थ्यप्रद आवासों इत्यादि का भी प्रावधान किया जाता है।”
श्रमिक कल्याण का उद्देश्य/महत्व (Objectives/Importance of Labour Welfare)
श्रमिक तथा उसके परिवार के सर्वांगीण विकास और कल्याण के लिए श्रमिक कल्याण कार्यक्रमों का विशेष महत्व है। इन कार्यक्रमों द्वारा श्रमिक की आर्थिक दशा में सुधार, शारीरिक तथा मानसिक स्तर में वृद्धि तथा भौतिक, नैतिक व आध्यात्मिक विकास किया जाता है। श्रमिक कल्याण कार्यों से श्रमिक का मन-मस्तिष्क प्रफुल्लित रहता है और वह अपनी पूरी योग्यता व सामर्थ्य के साथ उद्योग के हित में सोचता है तथा कार्य करता है।
भारत जैसे विकासशील देश में, जहाँ श्रमिकों की आर्थिक व सामाजिक स्थिति बेहद खराब है, श्रमिक कल्याण से जुड़े कार्यक्रमों का महत्व बहुत अधिक है। श्रमिक कल्याण कार्यक्रम निम्न कारणों से महत्वपूर्ण एव आवश्यक है
1. कार्यक्षमता में वृद्धि (Increase in Working Capacity)
यदि श्रमिक को बेहतर कार्य सुविधायें दी जाये तथा उसे अच्छा पारिश्रमिक प्राप्त हो तो वह मन लगाकर अपने कार्यों/जिम्मेदारियों को पूरा करेगा। इससे श्रमिक की कार्यक्षमता में तो वृद्धि होती ही है उद्योग की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है।
2. आर्थिक दशा में सुधार (Improvement in Economic Condition)
भारत जैसे गरीब तथा विकाशील देश में श्रमिकों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। उनकी जीवन-यापन के लिए आवश्यक सामान्य जरूरतें भी पूरी नहीं हो पाती हैं।
यहाँ तक की दो वक्त का भोजन भी ठीक से नहीं मिल पाता है। ऐसे में अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ऋण लेते हैं और पूरी जिन्दगी उस ऋण को चुकाने के चक्कर में लगे रहते हैं। उनका पूरा जीवन अभावग्रस्त ही बना रहता है। ऐसे में श्रमिक न तो अच्छा सोच सकता है
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और न ही अच्छा कर सकता है। अत: देश, उद्योग व समाज की तरक्की के लिए यह परम आवश्यक है कि श्रमिक की आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जाये। उसे उचित वेतन, बोनस भत्ते, प्रोत्साहन, प्रलोभन (incentives) मिलनी चाहिए। इसके अतिरिक्त सुखी व समृद्ध जीवन व्यतीत करने के लिए श्रमिकों को उनके कल्याण हेतु निशुल्क चिकित्सा, मनोरंजन के उचित साधन, सस्ती दरों पर बेहतर आवास, सस्ती दरों पर भोजन-सामग्री, आश्रितों के लिए उचित शिक्षा एवं मनोरंजन की सुविधायें दी जानी चाहिए।
3. बेहतर कार्यदशायें (Better Working Conditions)
उद्योगों में जहाँ श्रमिक दिन रात कार्य करते हैं, अगर कार्यदशायें खराब हैं तो श्रमिक अपनी पूरी क्षमता से कार्य नहीं कर पाता तथा अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में कठिनाई महसूस करता है। कार्यस्थल पर पर्याप्त रोशनी न होना, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था न होना, हवा के लिए उचित आवागमन न होना,
अत्यधिक शोर होना, वातावरण धूल तथा धुयें से भरा होना, ऐसे अनेक कारण हैं जो श्रमिक की कार्यक्षमता तथा कार्यकुशलता पर कुप्रभाव डालते हैं। ऐसे वातावरण में श्रमिक प्रायः चिड़चिड़ा और खिन्न रहता है। अतः श्रमिकों की कार्यक्षमता मार लाने के लिए कार्यदशाओं व वातावरण का श्रेष्ठ एवं स्वास्थयप्रद होना आवश्यक ही
4. श्रमिकों की अनुपस्थिति तथा फेर-बदल में कमी (Reduction in Labour Turnover and Absenteeism)
यदि श्रमिकों को उद्योग में बेहतर कार्यदशायें, उचित वेतन तथा अन्य कल्याणकारी सुविधायें प्राप्त होगी तो वह अपने कार्य को न तो छोड़कर जायेगा और न ही कार्य से अनपस्थित होगा। इससे उद्योग में अनुभवी एवं दक्ष श्रमिकों का एक ऐसा सा जायेगा जो उद्योग को मिलने वाली किसी भी चनौती का सामना कर सकता है।
5. नियोक्ता एवं श्रमिकों के मध्य अच्छे सम्बन्ध (Better Relation between Employer and Labour)
नियोक्ता अपने श्रमिकों के विकास के लिए श्रमिक कल्याण कार्यक्रमों को महत्व देगा तो नियोक्ता के प्रति श्रमिक का तथा विश्वास बढ़ेगा। इससे नियोक्ता तथा श्रमिकों के मध्य अच्छे सम्बन्ध बनाने में मदद मिलती है। इसके अतिरिक्त प्रति
सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ती है! जो अच्छे सामाजिक रिश्ते कायम करने के लिए आवश्यक है।
6. श्रमिकों को शिक्षित करने के लिए (To make Educated Labour)
श्रमिक कल्याण कार्यक्रमों द्वारा श्रमिकों की शिक्षित बनाना तथा उनमें अपने कार्य के प्रति समझ तथा जागरूकता पैदा करना भी एक महत्वपूर्ण कार्य है। प्राय: भारतीय श्रमिक अशिक्षित होते हैं। ज्ञान में इस कमी का लाभ उठाकर भ्रष्ट नेता उन्हें आसानी से भ्रमित कर लेता है तथा अपने गलत जैसे हडताल आदि कार्यों के लिए प्रयोग करता है। इसके अतिरिक्त इसी अज्ञानता के चलते नियोक्ता भी अपने जाल में श्रमिक को उलटा लेते हैं तथा उनका शोषण करते है। अत: किसी भी श्रमिक कल्याण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए श्रमिक का शिक्षित होना आवश्यक है। शिक्षा से ही श्रमिक को अपने कर्तव्यों तथा अधिकारों का बोध होता है तथा सही तथा गलत कार्यों में अन्तर कर सकता है।
7. श्रमिक संघों की उन्नति के लिए (For the Progress of Trade Unions)
नियोक्ता द्वारा श्रमिको को शोषण से बचाने के लिए श्रमिक संघ कई प्रकार के श्रमिक कल्याण कार्यक्रम अपने स्तर से संचालित करते है इनमे श्रमिकों को उनके कर्तव्यों तथा कानूनी अधिकारों के बारे में समझाया जाता है, श्रमिक तथा उनके परिवारों के मनोरंजन के लिए मनोरंजन के कार्यक्रम रखे जाते हैं, चिकित्सा एवं शिक्षा सुविधायें प्रदान की जाती हैं। अत: श्रमिक कल्याण कार्यक्रमों द्वारा श्रमिक संघों की उन्नति एवं विकास होता है।
8. श्रमिकों के मानसिक एवं नैतिक उत्थान के लिए (For Moral and Mental Progress of Labour)–श्रमिक कल्याण कार्यक्रमों द्वारा श्रमिकों का मानसिक एवं नैतिक उत्थान किया जाता है। मानसिक उत्थान के जरिये श्रमिकों को यह अहसास कराया जाता है कि वे किसी उद्योग का सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं तथा उनके विकास से ही उद्योग व राष्ट्र का विकास संभव है। इसके अतिरिक्त श्रमिकों को बुरी आदतों (Bad Habits) एवं दुर्गुणों से बचाने के लिए तथा उनका नैतिक उत्थान करने के लिए श्रमिकों को खेलकूद, मनोरंजन, योगा आदि की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। श्रमिक कल्याण कार्यक्रम इस दिशा में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
9. औद्योगिक क्रान्ति के लिए (For Industrial Revolution)-उद्योग को विकसित करने के लिए तथा निर्धारित लक्ष्यो की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए श्रमिकों एवं नियोक्ता/पूँजीपति के मध्य अच्छा सामन्जस्य होना आवश्यक है। श्रमिक कल्याण कार्यक्रम द्वारा नियोक्ता/पूंजीपति तथा श्रमिक के मध्य निकटता/सामन्जस्य की भावना उत्पन्न की जा सकती है जो एक सफल औद्योगिक क्रान्ति के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
reference-https://labour.gov.in/labour-welfare
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