हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको management in hindi के बारे में बताया गया है की क्या होता है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है
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परिचय (Introduction)
जब मानव-सभ्यता का विकास हुआ तो बहुत से सार्वजनिक हित के कार्यों के लिए बहुत सी गतिविधियाँ समूह (Group) बनाकर की गईं। इन समूहों की गतिविधियों को सुचारु रूप से चलाने के लिए, दिशानिर्देश देने के लिए, गतिविधियों में सामंजस्य बठाने के लिए प्रबन्धन (Management) की आवश्यकता हुई।
विशेषतया: व्यापार के क्षेत्र में तो कुशल प्रबन्धन की बहुत आवश्यकता महसूस की गई
। मानव, मशीन, पदार्थ तथा धन (Men, Machines, Materials & Money 4’m’s) का सर्वोत्तम सदुपयोग करके अपने उद्देश्यों की पूर्ति करना सभी व्यापारिक गतिविधियों का मुख्य लक्ष्य होता है। किसी भी व्यापार का मूल आर्थिक उद्देश्य अधिक लाभ कमाना या व्यापार में लगातार वृद्धि करना होता है। सिर्फ कुशल प्रबन्धन से ही इन उद्देश्यों की पूर्ति सम्भव है।
प्रबन्धन सभी संगठित आर्थिक गतिविधियों में की जाने वाली सार्वत्रिक (Universal) प्रक्रिया है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र, जैसे फैक्ट्री, घर, दुकान, दफ्तर, सरकारी प्रतिष्ठानों, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, सैन्य संगठनों आदि में प्रबन्धन की आवश्यकता होती है। कुशल प्रबन्धन के द्वारा ही सभी गतिविधियाँ उचित तरीके से तथा उचित समय पर पूर्ण होती हैं।
आज का युग स्पर्धा (Competition) का युग है। कोई भी व्यवसाय बिना कुशल प्रबन्धन के अपने अस्तित्व को बचाये रख सकता है और न ही प्रगति कर सकता है। प्रबन्धन की उचित व्यवस्थायें न होने के कारण ही विश्व के बहुत से देश विकसित होने से वंचित रह गये। इस प्रकार किसी देश अथवा सभ्यता का समग्र विकास कुशल प्रबन्धन के द्वारा ही संभव है।
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प्रबन्धन की परिभाषाएँ (Definitions of Management):
प्रबन्धन पर विभिन्न विचारकों ने अपने विचार प्रस्तुत किये तथा अपने ढंग से परिभाषित किया। उनमें से कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्न प्रकार हैं :
TF.W. Taylor के अनुसार, “प्रबन्धन एक कला है जिसके द्वारा हम यह जान पाते हैं कि किस व्यक्ति से क्या कार्य लेना है तथा यह भी सुनिश्चित करना है वह इस कार्य को उत्तम (Best) तथा सबसे कम व्यय (Economically) में सम्पन्न करे।”
“Management is knowing exactly what you want men to do and then seeing that they do it best and cheapest ways”.
(2) James Lundy के अनुसार, “किसी विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति के लिए दूसरों के प्रयासों को नियोजन . (Planning) करना, समन्वय करना, प्रोत्साहित करना तथा नियन्त्रित करना ही प्रबन्धन का मुख्य लक्ष्य है।”
“Management is principally a task of planning, coordinating, motivating and controlling the efforts of others towards a specific objectives”.
(3) Koontz तथा 0′ Donell के अनुसार, “किसी प्रतिष्ठान में एक ऐसे आन्तरिक वातावरण का निर्माण करना तथा उसे बनाये रखना, जिसमें कोई व्यक्ति समूहों में कार्य करते हए दक्षतापूर्वक तथा प्रभावकारी तरीके से कार्य कर सके तथा समूह के निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति कर सके, प्रबन्धन कहलाता है।”
(4) Stanley Vance के अनुसार, “पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के उद्देश्य को ध्यान में रखकर उचित समय पर निर्णय लेना तथा मानवीय क्रियाओं पर नियन्त्रण रखना ही “प्रबन्धन” है।
(5) A.F. Stoner के अनुसार, “प्रबन्धन संगठन के सदस्यों के प्रयासों को नियोजित करने, संगठित करने, अग्रणी (Lead) करने तथा नियन्त्रित करने और संगठन के पूर्व निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सभी अन्य संगठन संसाधनों (Organisational resources) के एक साथ प्रयोग करने की प्रक्रिया है।”
(6) Hanri Fayol, जिन्हें आधुनिक प्रबन्धन विचारों का जनक भी कहा जाता है, के अनुसार, “पूर्वानुमान (Forecast) लगाना, नियोजित (Planning) करना, संगठित (Organise) करना, निर्देशित (Direction) करना, समन्वय (Co-ordinate) करना तथा नियन्त्रण (Control) करना ही प्रबन्धन है।”
चित्र 1.1 में प्रमुख प्रबन्धात्मक क्रियाओं को प्रदर्शित किया गया है।
diagram
उपरोक्त विचारों के आधार पर हम कह सकते हैं कि, “प्रबन्धन एक सामाजिक प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति हेतु नियोजन, संगठन, समन्वय, निर्देशन तथा नियन्त्रण द्वारा मानवीय तथा भौतिक संसाधनों में समन्वय रखा जाता है।” यह दूसरों के द्वारा कार्य सम्पन्न कराने की कला है। इसके द्वारा प्रबन्धन प्रक्रिया के लक्ष्य निर्धारित किये जात है। यह एक लगातार चलने वाली चक्रीय प्रक्रिया है जिसमें नियोजन क्रिया-नियन्त्रण-पन:नियोजन चक्र चलता रहता है।
प्रबन्धन के गुण/प्रकृति (Characteristics/Nature of Management)
प्रबन्धन के मुख्य गुण निम्न प्रकार हैं :
1) प्रबन्धन एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है—प्रबन्धन मूलतः पूर्व परिभाषित उद्देश्यों को प्राप्त करने की प्रक्रिया है। TV संगठन के उद्देश्य अलग-अलग हो सकते हैं।
(2) यह आर्थिक संसाधनों का दक्ष प्रबन्धन होता है-प्रबन्धन जमीन, श्रमिक और पूंजी के साथ-साथ उत्पादन
लिए एक मुख्य कारक है।
(3) प्रबन्धन एक विशेष प्रक्रिया है-यह एक विशेष प्रक्रिया है जिसमें नियोजन, संगठन, निर्देशन, समन्व
नियन्त्रण का समावेश होता है।
(4) प्रबन्धन गतिशील होता है-एक दक्ष तथा कुशल प्रबन्धन लचीला होता है तथा समाज में होने वाले बदलाव को
अपनाकर तदनुसार ही कोई निर्णय लेता है।
(5) समन्वय, प्रबन्धन की आत्मा है क्योंकि प्रबन्धन समूहों में होता है अत: विभिन्न समूहों में समन्वय होना
आवश्यक है।
(6) प्रबन्धन सार्वत्रिक (Universal) होता है-संगठन के किसी भी स्तर पर होने वाली सामूहिक गतिविधियों में प्रबन्धन
के सिद्धान्त तथा तकनीक समान रूप से लागू होती है।
(7) प्रबन्धन, प्रबन्धकों की टीम है, जिसके पास पर्याप्त अधिकार होते हैं– विभिन्न स्तर पर प्रबन्धकों के पास
पर्याप्त अधिकार होते हैं जो कार्य के दक्षतापूर्वक सम्पादन के लिए आवश्यक होते हैं।
(8) प्रबन्धन निर्णय लेने वाला होता है-प्रबन्धक (Managers) को निर्णय लेने का अधिकार होता है। जैसे एक
मार्केटिंग मैनेजर यह निर्णय लेता है कि कौन, केब और कैसे बाजार जायेगा, आदि।
(9) प्रबन्धन, एक पेशा (Profession) है—प्रबन्धन न केवल विज्ञान है, बल्कि कला भी है। प्रबन्धक को अपने अनुभव, योग्यता एवं कुशलता के आधार पर निर्णय लेना होता है। उसको प्रबन्धन के मौजूदा सिद्धान्त तथा तर्कों को ध्यान में रखकर ही नयी सोच, नये सिद्धान्त तथा नये वैज्ञानिक विचारों को अपनाना होता है। अत: आजकल प्रबन्धन एक पेशे के रूप में स्थापित हो गया है।
reference-https://en.wikipedia.org/wiki/Management
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