हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको Collective Bargaining in hindi के बारे में बताया गया है की क्या होता है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है
Contents
- सामूहिक सौदेबाजी (Collective Bargaining)
- (a) प्रभावी सामूहिक सौदेबाजी की आवश्यकतायें (Essentials for Effective Collective Bargaining)
- (b) सामूहिक सौदेबाजी के लाभ (Advantages of Collective Bargaining)
- (c) सामूहिक सौदेबाजी की सीमाएँ (Limitations of Collective Bargaining):
- (d) सामहिक सौदेबाजी का महत्त्व (Importance of Collective bargaining)
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सामूहिक सौदेबाजी (Collective Bargaining)
नियोक्ता एवं कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के मध्य सीधी बातचीत द्वारा स्वयं विवादों का निपटारा करने की विधि को सामूहिक सौदेबाजी कहते हैं। यह कम्पनी तथा संघ के प्रतिनिधियों के मध्य वेतन, कार्य के घण्टे, कार्यकारी परिस्थितियाँ, बोनस, स्वास्थ्य, सुरक्षा, श्रमिक कल्याण आदि विषयों पर नियम तथा शर्तों के निर्धारण के लिए किसी समझौते पर पहुँचने का प्रयास है।
अर्न्तराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने सामूहिक सौदेबाजी को निम्न प्रकार परिभाषित किया है- “रोजगार की कार्यदशाओं तथा शर्तों के अन्तर्गत किसी निष्कर्ष अथवा पारस्परिक सहमति पर पहुँचने के उद्देश्य से नियोक्ता (Employer) नियोक्ताओं का समूह अथवा एक या अधिक नियोक्ता संगठनों को एक तरफ तथा दूसरी तरफ एक या अधिक प्रतिनिधि श्रमिक संगठनों को बैठाकर पारस्परिक वार्तालाप कराना, सामूहिक सौदेबाजी (Collective Bargaining) कहलाता है।”
इसको निम्न प्रकार भी परिभाषित किया जा सकता है, “नियोक्ता तथा श्रमिकों के मध्य सीधे करार द्वारा रोजगार की दशाओं तथा वेतन की मानक दरों से सम्बन्धित विवादों के निपटारे हेतु किये गये प्रयास को सामूहिक सौदेबाजी कहते हैं।”
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लुइस ई० हाबर्ड (Luis E. Haward) के अनुसार, “सामूहिक सौदेबाजी वस्तुतः एकजुट होने का अधिकार, सहयाग का अधिकार, संगठित करने व समझौते करने का अधिकार अथवा हड़ताल करने का अधिकार है।”
एक औद्योगिक समाज में सामूहिक सौदेबाजी (Collective Bargaining) श्रमिकों एवं उद्योग-मालिकों की आवश्यकता की पूर्ति हेतु नितान्त आवश्यक है। यह दोनों पक्षों को अपनी-समस्याओं को बताने, विचारों को प्रदर्शित करने तथा सम्मानजन हल खोजने का अवसर प्रदान करती है। प्रत्येक पक्ष दूसरे पक्ष के सामने अपना प्रस्ताव लाता है। उदाहरण के लिए : उत्पाद
के बढ़ाने हेतु श्रमिक/कर्मचारी अधिक कार्य करने के लिए मान सकता है यदि नियोक्ता इस अधिक कार्य के बदले उसे कुछ भगतान करे तथा संगठन के लक्ष्यों की पूर्ति हेतु उसे प्रभावी प्रकार से मार्गदर्शित करे। यह एक दो तरफा प्रक्रिया (Two way Process) है और केवल तभी प्रभावित हो सकती है जब प्रबन्धन तथा श्रमिक कुछ पाना तथा कुछ खोना (Give and take) की नीति पर कार्य करे। सामूहिक सौदेबाजी के प्रमुख पद निम्न हैं
1. कर्मचारियों/श्रमिकों द्वारा अपनी मांगों एवं मतभेदों को सामूहिक रूप से प्रबन्धन के समक्ष प्रस्तुत करना।
2. विवादित मुद्दों को सुलझाने के दृष्टिकोण से प्रबन्धन प्रतिनिधियों से विचार विमर्श तथा वार्तालाप करना।
3. किये गये समझौते को लिखकर हस्ताक्षर करना। यह लिखित दस्तावेज कानूनी रूप से भी मान्य होगा। इस दस्तावेज में निम्न विवरण निहित होगा। प्रबन्धन तथा संघ के अधिकार एवं कर्त्तव्य, वेतन, बोनस, उत्पादन विधियाँ तथा नियम,छुट्टियाँ, सेवानिवृत्ति के लाभ, शिकायत की प्रक्रिया, भविष्य में होने वाले विवादों के निपटारे हेतु मशीनरी, अन्य कोई शर्ते अथवा लाभ।
(a) प्रभावी सामूहिक सौदेबाजी की आवश्यकतायें (Essentials for Effective Collective Bargaining)
प्रभावी सामूहिक सौदेबाजी की प्रमुख आवश्यकतायें निम्न हैं
1. सामूहिक सौदेबाजी के लिए एक मजबूत एवं प्रतिनिधित्व करने वाली ट्रेड युनियन होनी चाहिए जो संवैधानिक मायनों एवं नीतियों में विश्वास रखती हो तथा इसके नेता समर्पित तथा सम्मानीय हो।
2. प्रबन्धन द्वारा श्रमिक यूनियन को मान्यता तथा सौदेबाजी के लिए होने वाली बातचीत का अधिकार प्राप्त हो।
3. औद्योगिक विवाद के निपटारे के लिए दोनों पक्षों का लचीला रुख होना चाहिए। दोनों तरफ “कुछ खोना तथा कुछ पाना” (Give & take) की नीति का पालन होना चाहिए।
4. सौदेबाजी में भाग लेने वाले सदस्यों के पास पर्याप्त अधिकार होने चाहिए जिससे कि वे एक समझौते की रूपरेखा बना सके।
5. दोनों पक्षों को सामूहिक सौदेबाजी तथा उसकी प्रक्रिया में विश्वास होना चाहिए।
6. सौदेबाजी के विषय को लेकर दोनों पक्षों में कोई भ्रांति नहीं होनी चाहिये तथा सदस्यों के पास पर्याप्त जानकारी भी होनी चाहिए।
7. विचारविमर्श खुले एवं शांत वातावरण में होना चाहिए। बातचीत करने वाले पक्ष एक दूसरे में विश्वास की भावना रखते हो।
8. किसी भी पक्ष पर समझौता करने का दबाव नहीं होना चाहिए यह केवल स्वतंत्रता के माहौल में ही होना चाहिए!
9. अंत में लिया गया निर्णय दोनों पक्षों को मान्य होगा।
10. यदि कोई पक्ष दबाव में आकर निर्णय को स्वीकारेगा तो सामूहिक सौदेबाजी का उद्देश्य और उसकी भावना स्वत: ही समाप्त हो जायेगें।
(b) सामूहिक सौदेबाजी के लाभ (Advantages of Collective Bargaining)
1. सामूहिक सौदेबाजी प्रबन्धन एवं श्रमिक प्रतिनिधियों के संयुक्त विचार विमर्श का परिणाम है। इसमें लिया गया निर्णय सभी पक्षों को मान्य होता है इससे औद्योगिक वातावरण शांत तथा सौहार्दपूर्ण बना रहता है।
2. यह प्रबन्धन तथा श्रमिकों में अच्छे आपसी सम्बन्ध स्थापित करता है।
3. यह उद्योग में होने वाले आर्थिक या तकनीकी बदलावों को समायोजित करने का लचीला तरीका हैं जो नियोक्ता एवं कर्मचारी की आपसी सहमति एवं ज्ञान पर आधारित होता है।
4. औद्योगिक विवादों को सुलझाने की दिशा में यह मध्यम (Moderate) तथा सृजनात्मक कदम है। इसमें सहयोग करने की भावना झलकती है तथा विवादों को आपसी समझ बूझ से निपटा लिया जाता है। इससे बेहतर औद्योगिक सम्बन्ध बनते हैं तथा उत्पादकता को बढ़ावा मिलता है।
(c) सामूहिक सौदेबाजी की सीमाएँ (Limitations of Collective Bargaining):
1. सामूहिक सौदेबाजी के माध्यम से टेड यनियनों का प्रमुख उद्देश्य धन की प्राप्ति है। यह केवल तभी, है जब उद्योग लाभ की स्थिति में हो तथा नियोक्ता इस स्थिति में हो कि वह अधिक धन का भुगतान कर सके
2. अनेक श्रमिक संघों के साथ होने तथा उनमें आपसी मतभेद होने की स्थिति में सामूहिक सौदेबाजी का उद्धेश्य असफल रहता है
(d) सामहिक सौदेबाजी का महत्त्व (Importance of Collective bargaining)
संक्षेप में सामूहिक सौदेबाजी का महत्व कुछ इस प्रकार है
1. इससे टकराव की स्थिति समाप्त होती है तथा शांति का वातावरण बनता है।
2. इससे उत्पादन कार्य पर दबाव कम होता है।
3. सेवायोजकों एवं सरकार के प्रति श्रमिकों का विश्वास बढ़ता है।
4. औद्योगिक न्याय तथा जनतांत्रिक व्यवस्था स्थापित करने में मदद मिलती है।
5. श्रमिक वर्ग का मनोबल बढ़ता है तथा वह भी अपने को संगठन का महत्वपूर्ण अंग मानता है।
6. निरीक्षकों की मनमानी पर लगाम लगती है क्योंकि वे भी उन शर्तों को मानने के लिए बाध्य होते हैं।
7. नियोक्ता एवं श्रमिकों के मध्य परस्पर विश्वास, सहयोग, सद्भाव, एकता एवं जागरूकता का विकास होता है।
उद्योग को लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
8. औद्योगिक अनुसंधान को बढ़ावा मिलता है।
9. उच्च वेतन, अच्छी कार्यकारी दशाएँ एवं उचित कार्य समय होने से कर्मचारी संतुष्ट रहता है तथा उपक्रम के ली के प्रति जागरूक तथा समर्पित रहता है।
10. आदेशों के स्वागत को बल मिलता है क्योंकि दोनों ही पक्षों द्वारा इनका अनुपालन किया जाता है।
reference-https://www.investopedia.com/terms/c/collective-
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