हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको Individual and Group in hindi के बारे में बताया गया है की क्या होता है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है
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व्यक्ति एवं समूह (Individual and Group)
एक व्यक्ति (Individual) वह है जिसका कार्य निष्पादन, स्वयं उसके गुण/लक्षण जैसे-दिमाग (Brain), क्षमता (Ability), योग्यता (Qualification), प्रेरणा (Motivation), समंजन (Adjustment) आदि से प्रभावित होता है।
प्रत्येक व्यक्ति दूसरे से अलग होता है तथा उसकी गतिविधियाँ और व्यवहार भी औरों से अलग होता है। प्रत्येक व्यक्ति में अन्तर को कार्य पर उसके व्यवहार तथा उसके कार्य निष्पादन द्वारा पहचाना जा सकता है।
हम जानते है की मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और सामान्यतया वह समूह में रहना पसन्द करता है। किसी व्यक्ति के व्यवहार तथा उसी व्यक्ति के किसी समूह के सदस्य के रूप में व्यवहार में अन्तर हो सकता है।
अलग-अलग समूह में भी किसी व्यक्ति का व्यवहार अलग-अलग हो सकता है। प्रत्येक समूह की अपनी परम्परायें तथा मान्यतायें होती है। कम से कम दो व्यक्ति मिलकर एक समूह बनाते हैं। समाज में अनेक प्रकार के समूह हो सकते हैं
जिनमें से प्रमुख निम्न प्रकार है
(i) औपचारिक समूह (Formal Group)
ऐसे समूह, जो व्यावसायिक संगठन में निर्धारित नियमों के अनुसार बनाये जाते हैं, औपचारिक समूह कहलाते हैं। ये समूह किसी विशिष्ट प्रयोजन, लक्ष्य अथवा उद्देश्य की प्राप्ति हेतु बनाये जाते हैं। उद्योग में अनेक कार्यों जैसे-मरम्मत तथा अनुरक्षण कार्य, मशीन औजार का निर्माण, पुल का निर्माण आदि
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में श्रमिकों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। ऐसे समूह प्रायः संगठन द्वारा स्वयं ही बनाये जाते हैं।
(ii) अनौपचारिक समूह (Informal Group)
ऐसे समूह जो कार्यस्थल के बाहर किसी मनोवैज्ञानिक कारणों से, सुरक्षा तथा सामूहिक इच्छाओं (Common Interest) तथा सामाजिक सुरक्षा आदि के कारण बनाये जाते हैं, अनौपचारिक समूह कहलाते हैं। इनमें सदस्यों की संख्या निर्धारित नहीं होती है तथा ये अस्थायी प्रकृति के होते हैं।
(iii) खुला एवं बन्द समूह (Open and Closed Group)
खुले समूह में कोई व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी समय प्रवेश कर सकता है अथवा बाहर जा सकता है। बन्द समूह में प्रवेश सीमित रहता है तथा व्यक्ति अपनी इच्छा से बाहर नहीं आ जा सकता है।
(iv) एक के ऊपर एक समूह (One Over Other Group).
एक के ऊपर एक समूह के अन्तर्गत कोई व्यक्ति उद्योगों में प्रबन्ध समूह, पर्यवेक्षक (Supervisor) समूह तथा श्रमिक समूह का सदस्य हो सकता है। यह व्यक्ति कभी प्रबन्ध तन्त्र के सदस्य के रूप में व्यवहार करता है तो कभी सीमान्त व्यक्ति के रूप में रहकर कार्य करता है।
समूह व्यवहार के गुण/लक्षण (Characteristics of Group Behaviour)
1. एक समूह दो या अधिक व्यक्तियों का समान लक्ष्यों तथा इच्छाओं के साथ जुड़ना है जो एक दूसरे के साथ सम्पर्क में रहते हैं तथा एक दूसरे के निर्णय को प्रभावित भी करते हैं।
2. प्राय: यह देखा गया है कि एक ही व्यक्ति अकेले में अलग व्यवहार करते हैं और समूह में अलग। समूह, कार्य तथा संगठन के प्रति किसी व्यक्ति के दृष्टिकोण (Attitude) तथा व्यवहार को प्रभावित अथवा बदल सकता है।
3. प्रत्येक समूह एक समय अवधि के बाद अपनी एक परम्परा तथा सांस्कृतिक पैटर्न विकसित कर लेता है। कोई भी व्यक्ति जो समूह का सदस्य है, उसे इस परम्परा और सांस्कृतिक पैटर्न का अनुपालन करना पड़ता है।
4. प्रत्येक समूह का अपना एक संगठन होता है तथा प्रत्येक सदस्य का समूह में अपना स्थान होता है। एक औपचारिक समूह (Formal Group) में यह प्रत्येक व्यक्ति को एक निश्चित हैसियत (Status) प्रदान करता है।
5. समूह के प्रत्येक सदस्य को समूह से लगाव होना चाहिए। अलग-अलग समूह में यह लगाव अलग-अलग हो सकता है। कम लगाव होने से समूह धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है और उसके सदस्य अन्य समूह, जो अपेक्षाकृत अधिक मजबूत है और अधिक लगाव रखते हैं तथा लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अधिक प्रयास करते हैं, की तरफ आकर्षित हो जाता है।
6. विशिष्ट या अलग पहचान का अहसास भी समूह को जोड़े रखता है।
7. समूह के प्रत्येक सदस्य को अपने समूह से जुड़े रहने (belongingness) के अहसास को प्रदर्शित करना चाहिए इससे समूह में सम्मान तथा समर्पण की भावना बढ़ती है और लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रेरित करती है।
8. यदि समूह के सदस्य में कोई मतभेद है तो अतिवादी (Extremist) पर अपनी राय को बदलने या सही करने का बनता है जिससे या तो अतिवादी (Extremist) अपनी राय बदलता है या समूह छोड़ देना है।
9. प्रायः यह देखा गया है कि जो व्यक्ति समूह में औरों को प्रभावित करने का प्रयास करता है, वह स्वयं भी अन्य पर की राय को स्वीकार करने के लिए तत्पर रहता है।
समूह व्यवहार संगठन तथा प्रबन्धन के लिए लाभकारी भी हो सकता है तथा हानिकारक भी। यह समूह के सदस्य के व्यवहार को प्रभावित कर सकता है। विशेषतया गैरहाजिरी (absenteeism), कम उत्पादन जैसे विषयों में अत्यन्त प्रभावकारी हो सकता है। इस प्रकार, समूह (Group) निम्न उद्देश्यों की पूर्ति करने में सहायक हो सकता है
(i) समूह, अपने सदस्यों को बाह्य दाब से सुरक्षित रखता है,
(ii) व्यवहार के लिए परम्परा (Tradition) तथा मानदंड (Norms) स्थापित करता है,
(iii) कार्य स्थल पर तथा उससे अलग सहयोग (Companion) प्रदान करता है,
(iv) सदस्यों के मध्य अपनेपन तथा व्यक्तिगत सम्बन्धों का अहसास कराता है,
(v) सदस्यों को पहचान देता है तथा उनका मनोबल बढ़ाता है,
(vi) सदस्यों में टीमभावना जागृत करता है, तथा (vii) सदस्यों को कार्य सन्तुष्टि (Job Satisfaction) प्रदान करता है।
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