हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको profit and loss account in hindi के बारे में बताया गया है की इसे कैसे प्रयोग करते है तो चलिए शुरू करते है
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लाभ/हानि लेखा(Profit/Loss Account)
लाभ/हानि लेखा वास्तव में किसी निश्चित समयाविधि में कम्पनी के शुद्ध लाभ अथवा हानि को प्रदर्शित करने वाला एक वित्तीय अभिलेख (Financial Statement) है।
“लाभ/हानि लेखा (Profit/Loss Account) एक वित्तीय अभिलेख है जिसमें एक वित्तीय वर्ष या तिमाही (Quarter) में कम्पनी या फर्म से सम्बन्धित, एक निश्चित अवधि के सभी राजस्व (Revenue), लागतों (Costs) तथा ख! (Expenses) का सार (Summarizes) होता है।”
ये रिकार्ड कम्पनी की क्षमताओं अथवा कमियों, जो राजस्व को बढ़ाकर अथवा लागत को कम करने अथवा दोनों तरह से लाभ अर्जित करने से सम्बन्धित होती है, के बारे में जानकारी उपलब्ध कराते हैं। लाभ/हानि लेखा को निम्न प्रकार भी परिभाषित किया जाता है—प्रोफेसर कार्टर (Prof. Carter) के अनुसार
“लाभ हानि लेखा एक लेखा (Account) है जिसमें सभी प्राप्तियों तथा हानिओं को एक क्रम में एकत्र कर लिया जाता है जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि फर्म लाभ में है या हानि में।”
लाभ/हानि लेखा (Profit and Loss Account) का प्रारम्भ शुद्ध लाभ के रूप में ट्रेडिंग अकाउण्ट (Trading Account) से जमा के रूप में होता है। (यदि शुद्ध हानि हो तो देनदारी से प्रारम्भ होता है।) इसके बाद समस्त अप्रत्यक्ष ख) तथा हानियों को लाभ/हानि लेखा में डेबिट (Debit) कर दिया जाता है। इसका अर्थ यह होता है
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कि वे सभी आय अथवा व्यय जिसको टेडिंग अकाउण्ट में जोड़ा अथवा घटाया नहीं गया हो उन्हें लाभ/हानि लेखा में जोड़ा अथवा घटाया जाता है। अप्रत्यक्ष खर्चों में सभी प्रकार के प्रशासनिक (Administration), विक्रय (Selling) तथा वितरण खर्चे (Distribution Expenses) जैसे-वेतन, किराया. टैक्स डाक एवं स्टेशनरी, बीमा, क्षय (Depreciation), ब्याज का भुगतान, ऑफिस की बिजली, विज्ञापन, पैकिंग, परिहवन आदि निहित होते हैं।
हानि मद (Losses) में आग से नुकसान, चोरी के कारण नुकसान आदि निहित होते हैं। यदि सकल लाभ (Gross Profit) के अतिरिक्त यदि कोई अन्य आय या प्राप्ति हो तो उसे भी लाभ/हानि खाते में क्रेडिट (Credit) किया जाना चाहिए। इस लेखा (Account) के दोनों साइड़ का अन्तर शुद्ध लाभ अथवा शुद्ध हानि को प्रदर्शित करता है।
यदि क्रेडिट पक्ष का योग डेबिट पक्ष के योग से अधिक है तो यह अन्तर लाभ को प्रदर्शित करेगा और यदि कम है तो हानि को प्रदर्शित करेगा। इस अन्तर (शुद्ध हानि/लाभ) को प्रोपराइटर्स के पूँजी खाते (Capital Account) में ट्रांसफर कर दिया जाता है। शुद्ध लाभ पूँजी में वृद्धि तथा शुद्ध हानि पूँजी में कमी करती है।
लाभ/हानि लेखा के प्रमुख लक्षण(Features of Profit and Loss Account)
1. यह अन्तिम लेखा (Final Account) तैयार करने से पूर्व दूसरा चरण (Step) है।
2. यह एक निश्चित समयावधि के लिए होता है तथा उस अवधि के अन्त में तैयार किया जाता है।
3. इस लेखा के तैयार होने से लेखाकरण का उपचयाधार (Accural Basis of Accounting) बनता है।
4. इस लेखा को अन्य स्रोतों से आय तथा सकल लाभ के साथ क्रेडिट किया जाता है तथा अप्रत्यक्ष खर्चे एवं हानि से डेबिट (Debit) किया जाता है।
5. इस लेखा का बैलेंस ही शुद्ध लाभ या शुद्ध हानि होता है।
6. शुद्ध लाभ/हानि से स्वामी की पूँजी (Capital) में वृद्धि/कमी होती है।
लाभ/हानि लेखा की आवश्यकता(Need of Profit/Loss Account)
लाभ/हानि लेखा बनाने की आवश्यकता को संक्षिप्त रूप में निम्न प्रकार लिखा जाता है
1. शुद्ध लाभ सुनिश्चित करने के लिए,
2. पूर्व वर्षों के लाभ (Previous Year’s Profit) से तुलना करने के लिए, तथा
3. खर्चों पर नियन्त्रण के लिए।
reference-https://www.investopedia.com/terms/p/plstatement.asp
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