what is functional organisation in hindi-क्रियात्मक संगठन क्या होता है?

हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको functional organisation in hindi   के बारे में बताया गया है की क्या होता है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है

क्रियात्मक संगठन (Functional Organisation)

F.W. Taylor ने क्रियात्मक संगठन की संकल्पना को प्रस्तुत किया क्योंकि रेखा संगठन के मध्यवर्ती प्रबन्धन में विशेषज्ञ तथा कार्यों के लिए उपयुक्त व्यक्ति का मिलना कठिन रहता है।

क्रियात्मक संगठन का मूल सिद्धान्त, कार्य को समवितरित करना (Equal distribution of work) तथा विशेषज्ञों (Experts) के अधिकार (Authority) व उत्तर-दायित्वों (Responsibility) के क्रियान्वन का लाभ भी अर्जित करना है।

इस प्रणाली में विशेषज्ञों (Experts) को अपने-अपने कार्य क्षेत्र में उत्तरदायित्व प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें अपने विचारों को क्रियान्वित करने का अधिकार भी दिया जाता है।

क्रियात्मक संगठन, प्रबन्धन गतिविधियों को इस प्रकार वितरित करता है कि प्रत्येक प्रमुख, जो कार्य प्रबन्धक के अधीनस्थ कार्य करेगें, को कुछ गतिविधियाँ करनी होती हैं जिसमें वह विषेषज्ञ बन जाता है। इससे शीर्ष से नीचे की ओर कुछ अधिकार वितरित हो जाते हैं। इस प्रकार के संगठन में प्रोडक्शन इंजीनियर, डिजाइन इंजीनियर, अनुरक्षण (Maintenance) इंजीनियर तथा क्रय अधिकारी आदि

विशेषज्ञ कार्य पर रखे जाते हैं। प्रत्येक विशेषज्ञ दूसरे विभागों के फौरमैन तथा कर्मचारियों को भी कार्य सम्बन्धी सलाह दे सकता है। टेलर ने कार्यस्थल पर निरीक्षण की जिम्मेदारी विभिन्न फौरमैन को दी, जो कार्य के विशेषज्ञ होते हैं तथा कार्यों के इन्चार्ज भी होते हैं। प्रत्येक विशेषज्ञ, कामगार को आदेश दे सकने में सक्षम होगा, जिसमें वह विशेषज्ञ है। चित्र 1.3 में क्रियात्मक संगठन का एक स्वरूप प्रदर्शित है।

Diagram

चित्र 1.3 से स्पष्ट है कि विशेषज्ञ जैसे डिजाइन इंजीनियर प्रोडक्शन इंजीनियर अनरक्षण इंजीनियर, क्रय अधिकारी आदि फारमन् अथवा सुपरवाइजरों को कार्य सम्बन्धी सलाह दे सकता है और जिस क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता है, उसमें उनकाकर सकता है। प्रत्येक शाला-पर्यवेक्षक (Shop supervisor) जैसे गैंगबॉस, स्पीड बॉस, इंस्पेक्टर तथा मरम्मत बाँस आदि पर्यवेक्षण कर कामगारों की मदद करता है।

गैंग फौरमैन मशीन पर औजार को बाँधना और एक मशीन से दूसरी मशीन पर दक्षता से पहुंचने में मदद करता है। स्पीड फौरमैन, कामगारों को कर्तन औजार तथा मशीन पर न्यूनतम समय में क्रिया करने के बारे भार म सिखाता है। इंस्पेक्टर या इंस्पेक्शन फोरमैन कार्य की गुणवत्ता को नियंत्रित करता है। मरम्मत बाँस, मशीन की देखभाल तथा कार्य करने लायक बनाये रखने का कार्य देखता है।

इसके साथ ही वह कामगारों को मशीनों को साफ रखने, रोजमर्रा का स्नेहन करने तथा मशीनों को कार्यकारी दशाओं में बनाये रखने हेतु आवश्यक निर्देश देता है

 (a) Advantages of Functional Organisation

(i) विशेषज्ञता (Specialization)-कुशल तथा विशेषज्ञ पर्यवेक्षण से कार्य की गुणवत्ता में सुधार आता है तथा उत्पादन दर बढ़ती है।

(ii) कार्य का विभाजन (Separation of Work)-इस प्रकार के संगठन में योजना बनाने अथवा निर्देशन का अलग विभाग रहता है और विशेषज्ञ को केवल पर्यवेक्षण से सम्बन्धित अधिकार एवं दायित्व दिये जाते हैं। इससे विशेषज्ञ पर कार्य का अनावश्यक बोझ नहीं बढ़ पाता है।

(iii) चयन तथा प्रशिक्षण में आसानी (Ease in Selection & Training)– क्रियात्मक संगठन विशेषज्ञता (Expert

knowledge) पर आधारित होता है। विशेषज्ञों द्वारा दिये गये निर्देशों एवं प्रशिक्षण से कम समय में अमुक कार्य के लिए कर्मचारी का चयन एवं प्रशिक्षण में सुविधा रहती है।

 (iv) उत्पादन लागत में कमी (Reduction in Prime Cost)-क्योंकि प्रत्येक क्रिया के लिए विशेषज्ञों की राय उपलब्ध रहती है अत: पदार्थ की बर्बादी बहुत कम हो जाती है, जिससे उत्पादन लागत में कमी आती है।

(v) मानक क्रियाएँ (Standard Operation)-अधीनस्थों को दिये जाने वाले कार्यों को मानक भागों में बाँट दिया जाता है क्योंकि प्रत्येक भाग के लिए विशेषज्ञों की राय उपलब्ध रहती है अत: प्रत्येक भाग की क्रियाएँ न्यूनतम, स्पष्ट एवं सनिश्चित होती हैं।

(vi) व्यापार के विकास एवं उन्नति की सम्भावना (Scope for Growth & Development of Business)-इस प्रकार के संगठन द्वारा व्यापार के विकास एवं उन्नति की प्रबल सम्भावना होती है।

(vii) मानकीकरण (Standardization)-मानकीकरण एवं विशेषज्ञता से मास प्रोडक्शन करने में मदद मिलती है।

(b)Disadvantages of Functional Organisation

(i) अनुशासनहीनता (Indiscipline)-इस संगठन में कामगार अनेक विशेषज्ञों से सलाह पाता है। ये सलाह अलग अलग भी हो सकती हैं। इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है और अनुशासनहीनता को बढ़ावा मिलता है।

(ii) उत्तरदायित्व को शिफ्ट करना (Shifting of Responsibility)-शीर्ष प्रबन्धन के लिए यह मश्किल है कि वह अंसतोषजनक कार्य के लिए किसी को उत्तरदायी ठहराये। किसी भी प्रकार की असुविधा अथवा गलती के लिए प्रत्येक दूसरे को उत्तरदायी ठहरायेगा।

(iii) अधिकारों में टकराहट (Overlapping of Authority)-कभी-कभी अधिकारों का क्षेत्र ओवरलैप कर जाता है जिससे अधिकारियों में मनमुटाव की स्थिति आ सकती है।

 (iv) कामगार हतोत्साहित होता है (Worker becomes Passive)-क्योंकि प्रत्येक कर्मचारी को विशेषज्ञों की राय उपलब्ध रहती है अत: कामगार को अपना टेलेण्ट और कार्य-कुशलता प्रदर्शित करने का मौका नहीं मिलता। इसलिए वह हत्तोसाहित होता है।

(v) गतिविधियों के बीच समन्वय की कमी (Lack of Co-ordination between Function)-विशेषज्ञ जिस क्षेत्र  में विशेषता रखता है, उस क्षेत्र को छोड़कर वह अन्य क्षेत्र से अलग-थलग रहता है जिससे समन्वय तथा प्रयासा में कमी आती है।

 (vi) लागत में वृद्धि (Increase in Cost)-विशेषज्ञों को उच्च वेतन देना पड़ता है जिसका सीधा असर उत्पादन लागत । पर पड़ता है और लागत में वृद्धि होती है।

functional organisation in hindi

reference-https://www.managementstudyguide.com/functional_organization.htm

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