what is committee organisation in hindi-समिति सगठन क्या है?

हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको committee organisation in hindi   के बारे में बताया गया है की क्या होता है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है

समिति संगठन (Committee Organisation)

समितियाँ किसी संगठन के ढाँचे का औपचारिक हिस्सा होती हैं और ये सभी बड़ी कम्पनियों के सभी प्रबन्धन स्तरों पर पायी जाती हैं।

समिति विभिन्न व्यक्तियों का ऐसा औपचारिक समूह है जो ऐसी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करे जो एक अकेला व्यक्ति नहीं सुलझा सकता है। राल्फ डेविस (Ralph Devis) के अनुसार, “समिति व्यक्तियों का ऐसा समूह है जो किसी समस्या के हल के लिए विभिन्न विचारों को समग्र या एकत्र करने के लिए एक स्थान पर मिलते हो।

संगठन के व्यक्ति किसी समस्या के हल के लिए बार-बार मिलते हैं, विचार विमर्श करते हैं. निर्णय लेते हैं तथा अपना संस्तुति (Recommendation) देते हैं।

समिति प्रबन्धन एक प्रकार का समूह प्रबन्धन है। जिसमें दो या अधिक सदस्य होते हैं। यह अधिकारियों को संतलित एव प्रभावशाली सलाह उपलब्ध कराता है। यह विभिन्न विशेषज्ञों की राय को समाकलित करता है। W.H. Newman के अनुसार,

कुछ निचित प्रशासनिक कार्यों को सम्पन्न करने के ध्येय से गठित किये गये कुछ व्यक्तियों के समूह का सीमित कहते है।”

समिति के प्रयोग के मूल नियम (Basic Rules for Use of Committee)-किसी समिति का गठन केवल त न्यायोचित कहा जा सकता है जब वह किसी अकेले व्यक्ति (अधिकारी) की तलना में बेहतर कार्य कर सके। समिति द्वारा गये निर्णयों का विभिन्न कारकों जैसे लागत समय, न्याय, उचित एवं दूरदर्शी निर्णय आदि पर स्पष्ट प्रभाव झलकना चा समिति की गतिविधियों को प्रभावी बनाने के लिए निम्न नियम होते हैं

(i) समिति में न्यूनतम आवश्यक सदस्य होने चाहिए। 3 से 5 तक की संख्या पर्याप्त होती है अधिक सदस्यों से निर्णय लेने में अनावश्यक देरी हो सकती है।

(ii) एक लिखित उद्देश्य होना चाहिए जिसके लिए समिति का गठन किया गया हो।

(iii) समिति के अध्यक्ष को मीटिंग होने से कई दिन पूर्व ही मीटिंग का एजेन्डा, सदस्य को उपलब्ध करां देना चाहिए जिससे कि वे समस्या पर पूर्वविचार करके ही मीटिंग में आये।

(iv) मीटिंग को बुलाने एवं उसके संचालन का अधिकार अध्यक्ष का होता है।

(v) मीटिंग समय पर शुरु तथा समाप्त होनी चाहिए।

(vi) समिति के एजेण्डे में व्यक्तिगत समस्याओं को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

(vii) समिति के सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिये जाने चाहिए।

(b) समितियों के विभिन्न प्रकार (Different Types of Committees) 

(i) अस्थाई समिति (Adhoc or Temporary Committee)—किसी अस्थाई समस्या के आकस्मिक रूप से उत्पन्न हो जाने पर इस प्रकार की समिति का गठन किया जाता है।

 (ii) स्थायी समिति (Permanent Committee)-इस प्रकार की समिति का गठन उन परिस्थितियों में किया जाता है जब कोई समस्या बार-बार उत्पन्न हो जाती है। कभी-कभी इसे स्टेन्डिंग कमेटी (Standing committee) भी कहते हैं। जैसे रिसर्च समिति, क्रय समिति, शिक्षा समिति आदि।

(iii) सलाहकार समिति (Advisory Committee)–उपरोक्त के अतिरिक्त एक सलाहकार समिति होती है जो समस्या उत्पन्न करने वाले कारणों की पहचान करती है तथा उसके निराकरण हेतु उचित सुझाव अधिकारियों जैसे प्रबन्धक, फौरमैन आदि को देती है।

(iv) अनुशासन समिति (Discipline Committee)—यह समिति उपक्रम में अनुशासन बनाये रखने सम्बन्धी उचित सलाह देती है. इसके साथ ही किसी व्यक्ति विशेष द्वारा जनित होने वाली समस्याओं का निराकरण करने तथा नियन्त्रण बनाये रखने के लिए प्रबन्धकों को उचित सलाह देती है।

(c) समिति संगठन के लाभ (Advantages of Committee Organisation

समिति संगठन के प्रमुख लाभ निम्न हैं

  1. यह नये विचारों, नयेपन, नयी योजना को अपनाने में मदद करता है। ,
  2.  यह अधिकारों के विकेन्द्रीकरण को बढ़ावा देता है और अधिकारों के दुरुपयोग की सम्भावना को कम करता है।
  3. लिये गये निर्णय सामूहिक होते हैं अत: किसी को व्यक्तिगत आलोचना का शिकार नहीं होना पड़ता है।
  4. किसी समस्या को कई दृष्टिकोण से देखा जाता है अत: लिये गये निर्णय अच्छे होते हैं।
  5. विभिन्न विभागों (जैसे उत्पादन, डिजाइन, विक्रय) के मध्य समिति के माध्यम से अच्छा समन्वय बनता है। 6. इस संगठन में जानकारियों एवं सूचनाओं का सम्प्रेषण सुगम होता है।
  6. यह परस्पर सहयोग एवं सर्वसम्मति से निर्णय लेने की प्रवृत्ति को बढ़ाता है।
  7. समिति संगठन में विशेषज्ञ किसी समस्या पर अधिक ध्यान दे सकते हैं और समय लगा सकते है जिससे प्रबन्धन का । कार्य भार कम किया जा सकता है।
  8. यह प्रणाली नियन्त्रण में बहुत सहायक होती है।

(d) समिति संगठन से हानि (Disadvantages of Committee Organisation) 

  1. यह धीमी गति से कार्य करता है जिससे निर्णय लेने में देरी हो सकती है।
  2. किसी निष्कर्ष या समाधान पर पहुँचने के लिए समझौता करना पड़ सकता है।
  3. अंतिम समाधान किसी समिति सदस्य को अमान्य हो सकता है
  4. तुलनात्मक रूप से यह संगठन खर्चीला होता है।
  5. समिति के कुछ सदस्य अन्य सदस्यों पर अपनी इच्छा मनवाने का दबाव बना सकते हैं।
  6. इस संगठन में गोपनीयता का अभाव रहता है।
  7. यह संगठन बड़े उद्योगों के लिए ही उचित रहता है छोटे उद्योगों में नहीं।
  8. यह सामूहिक निर्णय होता है। गलत निर्णय के लिए किसी को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।

(e) समिति संगठन के अनुप्रयोग (Applications of Committee Organisation) 

  1. यह बड़े उपक्रम अथवा उद्योगों के लिए उपयोगी है जहाँ जटिल समस्याएँ होती हैं तथा कोई एक व्यक्ति रनहीं कर सकता है।
  1. यह संगठन ऐसे स्थानों पर उपयोगी है जहाँ निर्णयों का अनुपालन करवाने के लिए स्वैच्छिक सहयोग आवश्यक
  2. ऐसे उपक्रम, जहाँ विभिन्न मस्तिष्कों में आने वाले नये-नये विचारों को समग्र करके उन पर विचार किया जाता है में यह संगठन उचित रहता है।
committee organisation in hindi

referencehttps://www.mbaknol.com/management-principles/committee-organizational-

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