Mob Psychology in hindi-भीड़ मनोविज्ञान हिंदी में

हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको Mob Psychology in hindi के बारे में बताया गया है की क्या होता है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है

भीड़ मनोविज्ञान (Mob Psychology)

परिभाषा (Definition)- “भीड़ बहुत सारे व्यक्तियों का भौतिक रूप से सघन, प्रत्यक्ष, असंगठित तथा स्वा ही बन जाने वाला एक ऐसा अस्थाई समूह है जिसके सदस्य कुछ विशिष्ट कार्यों, भावनाओं एवं दुराग्रहों की एकता जो किसी वस्तु, आदर्श या सामान से सम्बन्धित होती है, को प्रदर्शित करते हैं। उनका मन-मस्तिष्क किसी सामा विषय के परितः ही आकर्षित एवं केन्द्रित होता है।”

थाऊलैस (Thouless) के अनुसार, “एक ऐसा अस्थायी समूह, जो परस्पर एक-दसरे को स्पर्श करता हुआ किसी सामान्य रुचि के फलस्वरूप स्वतः ही बना हो और इतना सुसंगठित हो कि उसकी सीमायें भेद्य याप (Permeable) भी हों, भीड़ कहलाता है।”

उपरोक्त के आधार पर यह कहा जा सकता है कि “भीड़ (Mob) मलत: विशिष्ट भावनाओं व कार्यों का एकता वाले व्यक्तियों का एक अस्थाई समूह है। भीड के समूह हा भाड़ के सदस्य सामान्य समूहों, जिनके सदस्य सभ्य एव होते हैं, की तुलना में असभ्य व असंस्कारित होते हैं।”

भीड़ मनोविज्ञान के प्रमुख लक्षण (Important Characteristics of Mob Psychology)

भीड़ प्रायः अनियमित, अनैतिक, आक्रामक अथवा गुस्सैल, अनियमित, अनिश्चित एवं गतिशील होती है। भीड़ की अपनी कछ विशेषतायें अथवा मानसिकतायें होती हैं। भीड़ द्वारा प्रदर्शित किये जाने वाले प्रमुख लक्षण अथवा विशेषतायें निम्न हैं

1. भावनात्मक (Emotional)-भीड़ बहुत अधिक भावनात्मक हो सकती है। इसके प्रभाव में ही भीड़ के सदस्य व्यर्थ की नारेबाजी, शोर, हुड़दंग, तोडफोड़, आगजनी आदि का प्रदर्शन करते हैं। इस प्रदर्शन की कोई सीमा भी नहीं होती क्योंकि उन्हें कोई रोकने अथवा टोकने वाला अथवा उन पर दबाव बनाने वाला नहीं होता। उन्हें पहचानने वाला तथा पहचान कर दंड देने वाला कोई नहीं होता। वे पूरी तरह से निरंकुश होकर भीड़ की गतिविधियों में भाग लेते हैं और कुछ भी कानूनी अथवा गैरकानूनी, नैतिक अथवा अनैतिक करने के लिए तत्पर होते हैं। भीड़ में मुख्यतयाः किसी बात अथवा घटना को लेकर आक्रोश एवं घृणा होती है और उसके सदस्य बिना किसी हिचक अथवा रुकावट के खुलकर इसका प्रदर्शन भी करते हैं।

2. उत्तेजना की तीव्रता (Intensity of Excitement)-भीड़ में उत्तेजना एवं जोश की प्रधानता होती है। भीड़ में सदस्य बिना सम्बन्ध के कंधे से कंधा मिलाकर खडे हो जाते हैं और शोर शराबा. हडदंग एवं आक्रोश प्रदर्शित करते हैं। आक्रोश प्रदर्शन से भीड़ अधिक उत्तेजित व अनियन्त्रित भी हो जाती है। भीड़ में उत्तेजना की तीव्रता व्यक्तियों के जोश को देखकर उत्तरोत्तर बढ़ती ही जाती है!

3. अविवेकशीलता (Irrationality)- भीड़ के सदस्यों का बौद्धिक (Intelligence) स्तर बहुत निम्न होता है। वे अपनी सोच एवं विवेक से कार्य नहीं करते बल्कि अन्य लोगों की कही सुनी बातों पर विश्वास करके ही प्रतिक्रिया करने लगते हैं। इन सदस्यों की सोच निम्नस्तरीय तथा मानसिकता संकुचित होती है। प्राय: देखा गया है कि पढ़े लिखे एवं विवेकशील लोग भीड़ का सदस्य नहीं बनते हैं। भीड़ को उकसाकर तथा मुद्दे से हटाकर भ्रमित किया जा सकता है और गलत तथा गैरकानूनी कार्य भी कराया जा सकता है। अविवेकशीलता के कारण भीड़ पर नियन्त्रण करना तथा उन्हें समझा पाना दुश्कर कार्य हैं।

जी मर्फी (G. Murphy) के अनुसार भीड़ में निम्नलिखित विशेषतायें होती है

1. भीड़ के अधिकांश सदस्य मन्दबुद्धि वाले होते हैं।

 2. भीड़ के सदस्यों में अनुसरण (follow) की प्रवृत्ति अधिक पायी जाती है।

3. भीड़ से सामूहिक विचार विमर्श करना और उन्हें समझा पाना अपेक्षाकृत कठिन कार्य है।

4. भीड़ में उत्तेजना की तीव्रता अधिक होती है।

 5. भीड़ के सदस्यों में सुझावों को तुरन्त मान लेने की प्रवृत्ति अधिक पाई जाती है।

4. उच्च सुझाव ग्रहणशीलता (Hightended Suggestibility)-प्राय: यह देखा गया है कि कोई व्यक्ति जब भीड़ में होता है तो उसकी सुझाव ग्रहणशीलता अर्थात् दूसरों के सुझावों को मानने की प्रवृत्ति अपेक्षाकृत उस स्थिति से कहीं अधिक होती है जब वह अकेला होता है। इस प्रवृत्ति के कारण ही व्यक्ति किसी के भी उकसावे में आ जाता है और आक्रामकता, हिंसकता, रोष एवं घृणा का अनियन्त्रित प्रदर्शन करने लगता है।

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5. अनैतिकता (Immorality)-भीड़ के सदस्यों को उत्तेजना में कुछ भी दिखाई नहीं देता है उसे अच्छे-बुरे, सही-गलत, नैतिक-अनैतिक कार्यों का आभास भी नहीं होता है। उस वक्त वह जो करता है वही उसे सही लगता है। भीड़ कभा-कमा अनियन्त्रित होकर निर्दयी (Brotal) हो जाती है और अनैतिकता और असभ्यता की सीमा भी लाँघ जाती है। इसक ठाक विपरात कभी-कभी वह उदारवादी और सौहार्दपूर्ण भी बन जाती है और किसी भले काम को अंजाम देती है।

6. सामाजिक प्रोत्साहन (Social Motivation) कभी-कभी किसी व्यक्ति विशेष की उपस्थिति मात्र हा भाड़ कर प्रेरणा अथवा प्रोत्साहन का कार्य करती है। इससे भीड़ का सदस्य कछ भी करने को तैयार हो जाता है। इस कारण किसी व्यक्ति की प्रतिक्रिया में होने वाली वद्धि को “सामाजिक प्रोत्साहन’ कहते हैं। भीड़ के सदस्य एक दूसरे को उपस्थिति से दूसरे के क्रिया कलापों से प्रभावित होकर स्वयं भी वैसा ही आचरण करने लगते हैं।

7. दबी हुयी इच्छाओं का प्रदर्शन (Exhibition of Repressed Desire)-प्राय: देखा गया है कि किसी व्यक्ति में किसी घटना या कार्य के विरोध स्वरूप गस्सा अथवा असंतोष होता है परन्तु अकला होने के कारण वह उस दिन कस करने में असफल रहता है। भीड में उसे यह मौका मिल जाता है, और वह अपनी दबी हयी इच्छाओं का प्रदर्शन करता है। भीड़ में वह अपनी हरकत के लिए पहचान में नहीं आता है और उत्तरदायित्व नहीं होने के कारण उसके में दबी इच्छा अचानक उभरकर सामने प्रकट हो जाती है।

8. संकल्प शक्ति का अभाव (Lack of Violation)-भीड़ के सदस्यों की आत्मचेतना निम्न स्तर की होती है। माई क सदस्या में संकल्प शक्ति का अभाव रहता है। इस अभाव के कारण ही भीड़ के सदस्यों में सोचने. समदान करने की क्षमता का सर्वथा अभाव पाया जाता है और वे बिना विचारे ही गलत और अनैतिक गतिविधियों का हिस्सा बन जाने हैं। संकल्प शक्ति का अभाव होने के अनेक कारण हैं जिनमें प्रमुख कारण निम्न हैं

(i) उत्तेजना एवं आक्रोश का होना,

(ii) बुद्धि का निम्न स्तरीय होना,

 (iii) सुझाव ग्रहणशीलता का उच्च होना, तथा

(iv) सोचने, समझने व विचारने की अपर्याप्तता।

9. सहज विश्वास (Credulity)-भीड़ में विवेकशीलता का अभाव होने के कारण सदस्यों के अन्दर दूसरों की बातों पर सहज विश्वास कर लेने की दुष्प्रवृत्ति होती है। बिना किसी तर्क वितर्क के, जो दूसरे ने कहा उस पर ही विश्वास कर लेते हैं और उसे ही सच मानकर उसके अनुरूप ही प्रतिक्रिया कर बैठते है। भीड़ के सदस्यों में सहज विश्वास कर लेने की भावना, उनमें बुद्धि एवं तर्क-वितर्क के चातुर्य के अभाव में उत्पन्न होती है।

10. स्थिरता का अभाव (Lack of Stability)-किसी भी घटना अथवा मुद्दे पर भीड़ कुछ समय के लिए ही एकत्र होती है और फिर बिखर जाती है। अत: भीड़ के सदस्यों में स्थिरता का अभाव पाया जाता है। भीड़ के संवेगों और विचारों में भी अस्थिरता पायी जाती है। भीड़ का सदस्य भीड़ में कुछ और विचार रख सकता है तथा भीड़ से अलग कुछ और विचार रख सकता है। स्थिरता के इस अभाव के चलते ही एक परिस्थिति विशेष में क्रियाशील भीड़ को निष्क्रिय भीड में बदलते देर नहीं लगती और वह भाग खड़ी होती है।

11. उत्तरदायित्व की भावना का अभाव (Lack of Sense of Responsibility)– मैक्डगल (Mecdugul) क अनसार, “भीड में उत्तरदायित्व की भावना में कमी का मुख्य कारण भीड़ के सदस्यों में आत्मचेतना (Self. consciousness) के स्तर का निम्न होना है।”

उत्तरदायित्व की भावना के अभाव के चलते ही भीड़ के सदस्य पथराव, मारपीट, तोडफोड, आगजनी जैसी अवांछित एव गैरकानूनी गतिविधियों में भाग लेते हैं। भीड़ द्वारा सरकारी एवं गैरसरकारी सम्पत्तियों को क्षति पहुँचाने का कार्य उत्तरदायित्व का भावना के अभाव के कारण ही किया जाता है। भीड़ के सदस्य खुद को पूर्ण निरंकुश मानते हैं और उन्हें किसी आक्षेप या बदनामा का डर भी नहीं होता। उत्तरदायित्व की भावना के अभाव के प्रमुख कारण निम्न हैं

(i) भीड़ के सदस्यों के बौद्धिक स्तर का निम्न होना,

(ii) भीड़ के सदस्यों का उत्तरदायित्व बँट जाना.

(iii) अपनी बुद्धि का प्रयोग न करके सामूहिक चेतना के अनुरूप कार्य करना.

(iv) भीड़ के सदस्यों में अविवेकशीलता का विद्यमान होना, तथा

(v)भीड के सदस्यों को किसी प्रकार के आक्षेप या बदनामी का डर न होना।

12.अनुकरण (Iimitation)-अनुकरण का प्रकृति के कारण जब भीड़ में कछ लोग नारेबाजी. तोडफोड़ या न पर उतारू हो जाते हैं तो शेष लोग भा उनका देखादेखी वैसा ही करने लगते हैं।ऐसा भीड़ के सदस्यों के मानसिक एवं बाझिा स्तर निम्न होने के कारण होता है।

13. शक्ति का अहसास (Sense of Power)-भीड़ में रहकर भीड़ के सदस्य उनके अकेले रहने की तुलना में अधिक शक्तिशाली महसूस करते हैं। भीड़ का नेता इस शक्ति को सर्वाधिक अनुभव करता है जिसके फलस्वरूप वह भीड़ का नेतृत्व करते हए कभी-कभी वह कानून को भी अपने हाथ में ले लेता है। भीड़ में रहकर कोई भी व्यक्ति अपने को सुरक्षित महसूस करता है और यह सोचता है कि वह कुछ भी करे, लोग उसके साथ खड़े हैं।

14. नेता का अनुसरण (Following the Leader)-प्राय: भीड़ का कोई पूर्व निर्धारित नेता नहीं होता बल्कि भीड़ के सदस्यों में से ही कोई तात्कालिक स्तर पर नेता बन जाता है और भीड़ का नेतृत्व सँभाल लेता है। नेता प्राय: सुझाव व प्रतिष्ठा के आधार पर ही भीड़ पर नियन्त्रण पाता है। भीड़ अपने नेता का विश्वास करती है और उसकी बातों और निर्देशों का अक्षरश: पालन करती है।

reference-https://psychology.wikia.org/wiki/Mob_psychology

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