Grievances in hindi-श्रमिक असंतोष हिंदी में

हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको Grievances in hindiके बारे में बताया गया है की क्या होता है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है

श्रमिक असंतोष (Grievances)

प्रत्येक कर्मचारी/श्रमिक को व्यापारिक संगठन से प्राय: कोई न कोई शिकायत जैसे-वेतन, बोनस, कार्यकारी परिस्थितियाँ, सुपरवाइजर का व्यवहार आदि अवश्य रहती है। एक बात जो सदैव कर्मचारियों और प्रबन्धन के बीच अच्छे रिश्तों के लिए हानिकारक है वो यह है कि श्रमिकों के मन में यह अहसास (Feeling) उत्पन्न हो जाये

कि प्रबन्ध तन्त्र उनकी परेशानियों एवं कठिनाइयों पर कोई ध्यान नहीं देता है। यह अहसास श्रमिक के दिमाग में असंतोष तथा प्रबन्ध तन्त्र के प्रति अविश्वास उत्पन्न करता है। जो काम के प्रति उसके अन्दर असहयोग तथा अक्षमता की भावना पैदा करता है। अत: यदि श्रमिक असंतोष को सुलझाया न जाये तो वह एक दिन इतना बढ़ जाता है कि औद्योगिक विवाद में बदल जाता है। श्रमिक असंतोष को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है

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“असंतोष को शिकायत या असन्तुष्टि की भावना द्वारा परिभाषित किया जा सकता है, चाहे उसे व्यक्त किया जाये अथवा नहीं और वह शिकायत सही हो अथवा नहीं, जो कम्पनी के किसी भी विषय से सम्बन्धित हो। जिसे कर्मचारी सोचता है, मानता है या अहसास करता है कि वह गलत, अन्यायपूर्ण तथा असमानतापूर्ण है।

श्रमिक की शिकायत लिखित अथवा मौखिक हो सकती है, सही अथवा शरारतपूर्ण हो सकती है तथा कम्पनी की नीतियों अथवा गतिविधियों से सम्बन्धित हो सकती है।

असंतोष के कुछ उदाहरण निम्न हैं

1. खराब कार्यकारी परिस्थितियाँ जैसे खराब रोशनी, वेंटीलेशन, शोर, धुआँ, अपर्याप्त टॉयलेट सुविधाएँ, खराब कैंटीन सुविधाएँ, अपर्याप्त जगह आदि।

 2. खराब/अपर्याप्त वेतन, प्रलोभन, बोनस आदि।

3. प्रोन्नति, ट्रांसफर, रात्रि की पाली, कार्य का वितरण आदि विषयों पर प्रबन्धन का पक्षपाती व्यवहार, तथा

4. सख्त पर्यवेक्षण जैसे सख्त अनुशासन, सख्त कानून, अपर्याप्त कार्य निर्देश तथा पर्यवेक्षक का पक्षपात व्यवहार।

. श्रमिक असंतोष का निवारण (Handling of Worker Grievances)

श्रमिक की भावना को संतुष्ट करते हुए तथा भविष्य में दोबारा ऐसी समस्या न आये, इस बात का ध्यान रखते हुए ऐसे प्रभावकारी कदम उठाने की आवश्यकता होती है जो चरणबद्ध हो और सभी पक्षों को मान्य हो।

श्रमिक असंतोष को निपटाने की विधि निम्न प्रकार हैं—

सामान्यतया असंतुष्ट श्रमिक/कर्मचारी सबसे पहले अपने सुपरवाइजर को अपना असंतोष प्रकट करता है। यदि आवश्यक हुआ ता वह अपना असतोष संघ के प्रतिनिधि जोकि उपक्रम का ही एक पर्ण कालिक (full time) कर्मचारी होता है, का मा प्रकट करता ह। जहा तक संभव हो अंसतोष या विवाद का निपटारा इसी स्तर पर करना चाहिए।

यदि संभव न हा ताजम समझोत (Labour Agreement) में उल्लेखित शर्तों के अनरूप इस असंतोष अथवा विवाद को उच्च स्तर पर प्रस्तुत करना चाहिए। संघ के पदाधिकारियों को चाहिए कि वे उच्च स्तरीय अधिकारियों से वार्ता कर विवाद को निपटाने का यदि अब भी विवाद नहीं निपटता है तो सामहिक सौदेबाजी

अथवा अन्य प्रयासों द्वारा समस्या का हल निकाला जान इस स्तर पर विवाद को निपटाने में असफल रहने पर हड़ताल, तालाबन्दी आदि की संभावना बढ़ जाती है। यद्यपि संग चाहिए कि श्रमिक को अधिकतम कार्य लेने के लिए उन्हें बेहतर कार्यकारी परिस्थितियाँ उपलब्ध कराये, अच्छा वेतन है। व्यवहार करे, उन्हें विश्वास में ले तथा उनके अंसतोष या विवाद का अतिशीघ्र निपटारा करे। एक अच्छी असंतोष निवारण वह होगी जो

(i) पर्याप्त तथा प्रभावी हो,

(ii) समझने और करने में आसान हो,

(iii) निचले स्तर पर लिये गये निर्णय के विरुद्ध याचिका (Appeal) करने की अनुमति प्रदान करता हो,

(iv) उत्साही हो, विश्वसनीय हो तथा सक्षम अधिकारी द्वारा निपटाया जाए।

(v) जहाँ तक संभव हो, विवाद निचले स्तर पर ही निपटाना चाहिए,

(vi) यह निवारण इस प्रकार होना चाहिए कि उद्योग में शांति व सौहार्द का वातावरण बना रहे तथा अच्छे श्रमिक सम्बन्धों को बढ़ावा मिले।

(vii) चरणबद्ध तरीके से निपटाया जाना चाहिए और शिकायत की गई परिस्थितियों को तेजी से दुरुस्त किया जाना चाहिए।

reference-https://dictionary.cambridge.org/dictionary/english/grievance

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