श्रमिक कल्याण की विधियाँ-Methods of Labour Welfare in hindi

हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको Methods of Labour Welfare in hindi के बारे में बताया गया है की क्या होता है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है

श्रमिक कल्याण की विधियाँ (Methods of Labour Welfare)

श्रमिक कल्याण मुख्यतः दो विधियों द्वारा किया जाता है

1. उद्योग के अन्दर (Inside factory) तथा

2. उद्योग के बाहर (Outside factory)

1. उद्योग के अन्दर (Insisde Factory)

उद्योग के भीतर संचालित किये जाने वाले श्रमिक कल्याण कार्यक्रम निम्न है

(i) उद्योग का वातावरण (Environment of Factory)

नियोक्ता/प्रबन्ध तंत्र को चाहिए कि वे उद्योग के अन्दर समचा वातावरण इस प्रकार बनाये कि वह विकासोन्मुख हो। उद्योग की कार्यकारी परिस्थितियाँ श्रमिकों के अनकल होनी चाहिए जिससे वे अपनी अधिकतम दक्षता का उपयोग कर सके तथा उन्हें न्यूनतम थकान तथा न्यनतम शारीरिक शक्ति का हास (10 हो।

यदि उद्योग में उचित कार्यस्थितियाँ नहीं होगी तो श्रमिक का मन कार्य में नहीं लगेगा तथा वह एकाग्रचित होकर शात से अपना कार्य नहीं कर पायेगा। उद्योग के वातावरण का अच्छा व अनुकूल बनाने के लिए निम्न कार्य व्यवस्था का होना आवश्यक  है 

1. उचित सुरक्षा व्यवस्था जैसे सुरक्षा गार्ड आदि का होना।

2.कार्य स्थल पर उचित हवा, प्रकाश तथा उचित तापमान व नमी का होना।

3 कार्यस्थल स्वच्छ एवं स्वास्थ्य अनुकूल होना चाहिए।

4. कार्यस्थल पर यथासंभव न्यूनतम शोरगुल होना चाहिए।

(ii) दुर्घटना से बचाव (Precautions Against Accidents)

श्रमिक कल्याण कार्यक्रम के अन्तर्गत उद्योग में ऐसी जिससे संभावित दुर्घटना से तुरन्त बचाव किया जा सके तथा यदि दर्घटना हो भी जाये तो उससे होने वाली जानमाल की हानि न्यूनतम हो। संभावित दुर्घटना से बचाव के लिए आग बुझाने की मशीन, प्राथमिक उपचार की पर्याप्त व्यवस्था तथा चिकित्सक का भी प्रबन्ध कारखाने के अन्दर ही होना चाहिए।

मशीनों के चलायेमान अंगों पर सुरक्षागार्ड लगी होने चाहिए, फर्श पर तेल ग्रीस आदि बिखरा हुआ नहीं होना चाहिए। कच्चा माल तथा अर्धनिर्मित उत्पाद सही जगह पर एकत्रित होना चाहिए तथा पदार्थ हस्तान्तरण (Material Handling) की समुचित एवं सुरक्षित व्यवस्था हो, यह ध्यान रखना भी श्रमिक कल्याण का ही अंग है।

(iii) भर्ती तथा प्रशिक्षण (Recruitment and Training)

योग्य कर्मचारियों की उद्योग में भर्ती हो तथा उसे उचित शिक्षण प्रशिक्षण देकर कुशल तथा दक्ष बनाया जाये, यह भी कार्य श्रमिक कल्याण कार्यक्रम का ही एक अंग है। भर्ती के समय कोई पक्षपात अथवा भ्रष्टाचार का व्यवहार न हो और केवल योग्य, अनुभवी तथा कुशल श्रमिक ही उद्योग में भर्ती हो, यह सनिश्चित करना श्रमिक कल्याण कार्यक्रम के अन्तर्गत आता है। साथ ही उद्योग में किये जाने वाले कार्यों के बारे में उचित शिक्षण/ प्रशिक्षण कार्यक्रम द्वारा श्रमिक को कुशल एवं दक्ष बनाना भी श्रमिक कल्याण का ही एक अंग है।

2. उद्योग के बाहर (Outside Factory)

उद्योग के बाहर से संचालित होने वाले श्रमिक कल्याण कार्यक्रम निम्न हैं

(i) सस्ती दरों पर कैटिंन सुविधा (Canteen Facilities at Subsidized Rates)

यदि श्रमिकों को उद्योग में ही सस्ती दरों पर कैंटीन सुविधा उपलब्ध करायी जाये तो उन्हें भोजन में वाँछित पौष्टिकता, गुणवत्ता तथा पर्याप्त मात्रा मिलेगी जिससे उनका स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा और उसे भोजन की व्यवस्था के लिए इधर-उधर भटकना भी नहीं पड़ेगा। इसे उसकी कार्यकुशलता और कार्यक्षमता का विकास होगा।

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इसके अतिरिक्त कारखाने में भी स्वास्थ्यप्रद स्वल्पाहार की व्यवस्था के लिए कैन्टीन में उचित मूल्य पर खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराये जाने चाहिए। श्रमिक कल्याण कार्यक्रम के अन्तर्गत श्रमिकों की बस्तियों में सहकारी उपभोक्ता भंडार के माध्यम से उन्हें यथासम्भव सभी दैनिक उपभोग की वस्तुओं को उचित मूल्य पर उपलब्ध कराया जा सकता है।

(ii) रहने की उचित व्यवस्था (Proper Living Arrangement)

उद्योग में कार्यरत श्रमिकों को रहने के लिए खुली जगह में हवादार मकानों की व्यवस्था करना श्रमिक कल्याण का ही एक अंग है। यह श्रमिक की प्राथमिक आवश्यकता होने के साथ उद्योग मालिक का परम कर्त्तव्य है। अच्छे स्वस्थ वातावरण में रहकर श्रमिक व उसका परिवार भी स्वस्थ एवं खुश रहते हैं

और अच्छी आदतें तथा अच्छे संस्कार सीखते हैं। इससे श्रमिक का मनमस्तिष्क अच्छा कार्य करता है तथा वह उद्योग में मन लगाकर अधिक व उत्तम उत्पादन करता हैं।

(iii) कपड़ों की उचित व्यवस्था (Proper Clothing Arrangement)

श्रमिकों को पहनने के लिए उचित कपड़ों की व्यवस्था करना भी श्रमिक कल्याण का ही एक अंग है। श्रमिकों की इस प्राथमिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए श्रमिकों को सस्ती दरों पर सहकारी उपभोक्ता भण्डार के माध्यम से दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु कपड़ों की व्यवस्था करना भी नियोक्ता का कर्त्तव्य है। मालिकों द्वारा आवश्यक मौसम के अनुरूप वर्दी, कोट या जर्सी, कम्बल आदि भी उचित दर पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

(iv) स्कूल/कालेज की व्यवस्था (Arrangement of School and College)

श्रमिकों तथा उसके परिवारों की उन्नति के लिए उनका शिक्षित होना आवश्यक है। श्रमिकों की अशिक्षा व अज्ञानता के कारण श्रमिक संगठनों के पेशेवर नेता तथा नियोक्ता दोनों ही अपने-अपने स्वार्थों की पूर्ति हेतु श्रमिकों का इस्तेमाल करते हैं। श्रमिकों को इस शोषण से बचाने के लिए उसे शिक्षित करना आवश्यक है। इसके लिए श्रमिकों को निःशुल्क रात्रि पाठशाला में पढ़ाया जाना अच्छा विकल्प है। श्रमिका के बच्चे भी शिक्षित हो इसके लिए स्कूल/कालेज का भी प्रबन्ध होना चाहिये।

 (v) मनोरंजन की उचित व्यवस्था (ProperArrangement of Recreation)

सारा दिन उद्योग में काम करते श्रमिक शारीरिक व मानसिक रूप से थक जाता है। ऐसे में मानसिक रूप से तरोताजा होने के लिए उसे मनोरंजन की। होती है। मनोरंजन की व्यवस्था के अभाव में श्रमिकों का समय व्यसनों तथा बुरी संगत में व्यतीत होता हैं। जो भवि नैतिक, शारीरिक और आर्थिक पतन का कारण भी बनता है।

अत: यह परम आवश्यक है कि श्रमिकों को इन व्यसनों आदतों से दूर रखा जाये तथा उनके मनोरंजन के लिए खेलकूद के मैदान, पार्क, पुस्तकालय तथा कल्ब जिसमें टेलीवित की व्यवस्था हो, आदि का इंतजाम करना चाहिए। इससे वे अपना खाली समय व्यर्थ के व्यसनों में व्यतीत न करके इन र का लाभ उठायेगें।

(VI) बेहतर चिकित्सा सुविधायें (Better Medical Facilities)

श्रमिक वर्ग एक निम्न आय वर्ग का प्राणी पड़ने पर उसका इलाज करना उसके बूते से बाहर हो जाता है और जब बीमारी बहुत खतरनाक अथवा जानलेवा हो तो उसका इलाज कराने में असफल रहता है। अत: इस समस्या का निराकरण करने के लिए श्रमिक कल्याण कार्यों के अन श्रामक व उसके परिवार के लिए निशुल्क चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था नियोक्ता द्वारा की जानी चाहिए जिससे अमित अपने स्वास्थ की रक्षा कर सके। स्वस्थ श्रमिक कार्य से भी कम अनुपस्थित रहता है तथा अपना कार्य पूरी दक्षता से कर पाता है।

(vii) भविष्य निधि तथा सामूहिक बीमा योजना (Provident Fund and Group Insurance Scheme)

श्रमिकों व उनके परिवारों का भविष्य उज्जवल हो इसके लिए श्रमिक कल्याण कार्यक्रम के अन्तर्गत नियोक्ता श्रमिकों के लिए भविष्य निधि तथा सामूहिक बीमा योजना जैसी कल्याणकारी योजनाएं लागू करते हैं।

(viii) पेंशन एवं ग्रेच्युटी (Pension and Gratuity)

नियोक्ता अथवा सेवा-योजकों द्वारा श्रमिकों को पेंशन एवं ग्रेच्यटी । की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए जिससे सेवानिवृत्ति के उपरान्त श्रमिक अपनी वृद्धावस्था सुखमय तरीके से व्यतीत कर सके तथा बुढ़ापे में किसी पर आश्रित न रहे।

reference-https://www.yourarticlelibrary.com/human-resource-management-2

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