हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट OS Service in hindi में हम आपको बताएँगे की क्या होता है और कैसे यह काम करता है तो चलिए शुरू करते है
Contents
- ऑपरेटिंग सिस्टम सर्विस
- 1. प्रोग्राम चलाना (Program Execution)
- 2. इनपुट / आउटपुट परिचालन (Input / Output Operation)
- 3. फाइल सिस्टम (File System)
- 4. संप्रेक्षण (Communication)
- 5. त्रुटि संसूचन (Error detection)
- अतिरिक्त सेवाएँ (Additional services)
- (i) संसाधन आवंटन (Resource Allocation)
- (ii) लेखांकन (Accounting)
- (iii) बचाव या सुरक्षा (Protection)
- शेयर करे
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ऑपरेटिंग सिस्टम सर्विस
प्रत्येक प्रोग्राम को यूजर द्वारा कार्यान्वित (Execution) करने के लिए एक अच्छे वातावरण की जरूरत है। इसके अलावा कुछ निश्चित सेवाओं की जरूरत होती है। इन सर्विस की वजह से यूजर (user) मेमोरी की चिन्ता किए बगैर कार्य करता है, उसे यह भी सोचने की आवश्यकता नहीं रहती कि किस प्रोसेस को कितनी जरूरत है प्रतिभाग करने के लिये।
1. प्रोग्राम चलाना (Program Execution)
ऑपरेटिंग सिस्टम का कार्य है कि सभी प्रोग्रामों को बारी-बारी से प्रतिभाग करने का अवसर प्रदान करे। पहले ये मुख्य मेमोरी में जाते हैं फिर ये अपने क्रियान्वयन (Execution) कार्यान्वित का इंतजार करते हैं।
2. इनपुट / आउटपुट परिचालन (Input / Output Operation)
सभी प्रतिभागित प्रोसेस को कार्य करने हेतु इनपुट / आउटपुट उपकरण की जरूरत पड़ती है परन्तु जब तक ऑपरेटिंग सिस्टम प्रतिभागित प्रोसेर्स को इनपुट / आउटपुट उपकरण को आवंटित न करे, तब तक यह कार्य नहीं करते।
3. फाइल सिस्टम (File System)
ऑपरेटिंग सिस्टम यूज़र (user) को किसी भी फाइल को पढ़ने, लिखने या कोई भी नई फाइल को बनाने, फाइल को मिटाने की सुविधा प्रदान करता है।
4. संप्रेक्षण (Communication)
एक ही कम्प्यूटर के संचालन में प्रतिभागित प्रोसेस के मध्य सूचनाओं का आदान-प्रदान करना अथवा किसी अन्य जुड़े हुए कम्प्यूटर के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान करना, आपरेटिंग सिस्टम की सेवाओं का हिस्सा है।
5. त्रुटि संसूचन (Error detection)
ऑपरेटिंग सिस्टम, प्रोसेस के प्रतिभाग करने से पहले यह जाँच लेता है कि प्रतिभगित प्रोसेस में कोई कमी तो नहीं है। अगर कोई कमी नहीं पाई जाती तो उसे आगे अग्रसारित कर दिया जाता है।
अतिरिक्त सेवाएँ (Additional services)
(i) संसाधन आवंटन (Resource Allocation)
ऑपरेटिंग सिस्टम, प्रत्येक प्रोसेस का उसके अनुसार कार्य करने हेतु संसाधन (Resources) की उपलब्धता प्रदान करता है। एक ही समय पर एक से ज्यादा प्रोसेस के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी आपरेटिंग सिस्टम की होती है, परन्तु संसाधन (Resources) निश्चित होते हैं।
इसके लिए ऑपरेटिंग सिस्टम को ऐसा प्रबन्धन करना पड़ता है ताकि प्रत्येक प्रोसेस को कार्य करने हेतु संसाधन उपलब्ध हो जाएँ।
(ii) लेखांकन (Accounting)
ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा लेखांकन का कार्य वृहद् तरीके से किया जाता है। यह ध्यान रखता है कि किस प्रोसेस द्वारा कौन-कौन सा संसाधन कितने समय के लिये प्रयोग किया जा रहा है। अगर कोई प्रोसेस द्वारा किसी संसाधन द्वारा ज्यादा समय ले रहा तो उसे उस संसाधन से हटा कर दूसरे प्रोसेस को आवंटित कर दिया जाता है।
(iii) बचाव या सुरक्षा (Protection)
ऑपरेटिंग सिस्टम सभी संसाधनों के नियंत्रित उपयोग को ध्यान में रखता है। कोई भी एक्सेस (Access) अगर प्रोसेस द्वारा किया जा रहा हो तो वह सुरक्षित हो। मल्टीप्रोग्रामिंग के अनुसार ज्यादा से ज्यादा प्रोसेस को एक्सेस (Access) करना होता है।
ऐसे में अगर संसाधनों को नियंत्रित न रखा जाए तो ज्यादा पेज फॉल्ट (Page fault) होंगे और सी०पी०यू० का उपयोग कम हो जाएगा। इस तरह की स्थिति से बचाव बहुत जरूरी होता है।
reference – https://www.geeksforgeeks.org/operating-system-services/
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