हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको ssl full form in hindi के बारे में बताया गया है की क्या होता है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है
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SSL(secuted socket layer) का परिचय
SSL एक network protocol होता है जो की client और server के बीच authentication और communication को मैनेज करता है ssl के 3 primary task होते है
- client authentication
- server authentication
- communication encryption
SSL एक web server और browser के बीच में secure connection को establish करता है और SSL को netscape के द्वारा develop किया गया है SSL को RFC 2246 में declare किया गया है इसे TLS(transport layer security) के नाम से भी जाना जाता है
इस protocol का सबसे important task को applications के बीच data की privacy और completeness को provide करना है जब भी कोई connection को SSL के साथ secure किया जाता है तो उसकी 3 characteristics होती है ये characteristics आपको निचे दिया जा रहा है
- privacy-connection private होता है क्योकि transmit होने वाली data को symmetric cryptography से encrypt किया जाता है ये एक algorithm होती है जो की data को encrypt करती है
- authenticity-communicate करने वाली applications को authentic होती है क्योकि public key cryptography से उन्हें authenticate किया जाता है
- reliability-यह connection reliable होता है क्योकि हर message की completeness को authentication code के द्वारा check की जाती है
components of SSL
SSL के 4 primary component(protocols) होता है ssl को इन 4 protocols में divide किया गया है
- SSL handshake protocols
- SSL record protocols
- SSL alert protocols
- SSL change cipher spec protocols
इन सभी के protocols के बारे में details से निचे आपको दिया जा रहा है
SSL handshake protocols
SSL hand shake protocols के द्वारा के client और server के बीच में secure channel को establish किया जाता है ये protocols keys और algorithm की information SSL record protocol को provide करता है इस protocols के द्वारा clients और server 3 primary tasks perform करते है
- clients और servers cryptographic algorithms determine करते है ये वो algorithm होता है जिससे data encrypt किया जायेगा जब client और server दोनों किसी एक algorithm को सपोर्ट करते है तो उसे ही choose किया जाता है
- client और server एक दुसरे को authenticate करते है
- एक दुसरे के साथ keys को exchange करते है ताकि दूसरी तरफ data का decryption किया जा सके
SSL record protocol
SSL record protocol data का fragmentation ,compression और encryption करता है इस property के functions आपको निचे explain किया जा सकता है
- application layer से प्राप्त data को fixed length के packets में break करण
- data को compress करना
- message को authentication code(MAC) को add करना
- break किये गए packets को encrypt करना
- सभी packets के साथ ही SSL header को attach करना
SSL alert protocol
SSL alert protocols sessions में आने वाली problems (error) को alert message के द्वारा represent करता है एक alert message में error की गंभीर और उसके बारे में short description दिया जाता है जब भी कोई fatal error message मिलता है तो server और client दोनों ही connection को close कर देता है जब connection को close किया जाता है तो इसी protocol के माध्यम से client और server एक दुसरे को notify करते है इसके लिए हम code_notify message को भेजा जाता है ये protocols warnings भी present करता है
SSL change cipher spec protocol
change cipher spec protocol को client और server के द्वारा प्रयोग किये जाने वाले encryption method को change करने के लिए प्रयोग किया जाता है change cipher protocols एक single message होता है जो ये बताता है की sender symmetric key encryption को change करना चाहते है ये एक message होता है जिसमे 1 byte value 1 set होती है इस protocols के advantage यह है की दोबारा connection को establish किये बिना ही आप encryption method को change कर सकते है
working of SSL (secured socket layer)
जब भी client server के बीच में connection होता है तो ये एक initial handshake process के द्वारा ही स्टार्ट होता है सबसे पहले server अपना digital certificate को client को present करता है client इस certificate को public key cryptography के द्वारा authenticate करता है ये certificate बताता है की server एक authorized server होता है server के authenticate होने के बाद client भी खुद को भी authenticate करता है
जब एक बार server authenticate हो जाती है तो client और server encryption method को determine करते है जैसे की मैंने आपको पहले ही बताया है की सिर्फ वाही encryption method का प्रयोग किया जाता है जिसे client और server दोनों को सपोर्ट करते है साथ ही एक common key भी शेयर की जाती है जो data के decryption के लिए ही प्रयोग की जाती है
जब भी आप किसी SSL– secure connection में enter करते है तो protocol HTTP से HTTPS बन जाती है
तो आएये हम process को कुछ steps से समझने का प्रयास करते है
- सबसे पहले handshake protocols के द्वारा ही client और server एक दुसरे को authenticate करते है
- इसके बाद change cipher spec protocols के द्वारा ही encryption method को set किया जाता है
- इसके बाद SSL record protocols के द्वारा SSL को packets में break किया जा है compress किया जाता है और SSL header attach किया जाता है फिर ये packets TCP को भेज दिया जाते है
- यदि इस process के दौरान कोई error आती है तो ये alert protocols इन error को present करता है
- साथ ही alert protocols के द्वारा connection को terminate करने के लिए message भी भेजा जाता है
reference-https://www.geeksforgeeks.org/ssl-full-form/
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