हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको relationship in dbms in hindi के बारे में बताया गया है की इसे कैसे प्रयोग करते है तो चलिए शुरू करते है
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Relationship
एक Relationship दो Entities के मध्य एक Association होती है। एक Relationship को दो Entities के बीच में एक Connection अथवा Associations के एक Set के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
उदाहरण के लिए, Teacher और Student Entities के बीच में एक association है –teacher teaches the students”, जो एक Relationship का उदाहरण है। प्रत्येक relationship को Identify करने के लिए, Relationship Name दिया जाता है जो आमतौर पर Active Verb होता है; परन्त इसके लिए Passive Verbs का भी प्रयोग किया जा सकता है
Relationships को डायमण्ड की आकृति (Diamond Shaped Symbol) से represent किया जाता है, जिसके अन्दर Relationship Name को लिखा जाता है। diamond के दोनों किनारे Relate की जाने वाली Entities से Connected होते है। के लिए, डायग्राम में TEACHER और STUDENT नामक Entities की relationship को दर्शाया गया है
आइए, अब Entities एवं Relationships से सम्बन्धित कुछ Terms का चर्चा करते हैं। ये Terms हैं—Degree, Connectivity, Cardinality, Dependency एवं Participation)।
रिलेशनशिप की डिग्री (Degree of Relationship)
किसी Relationship की Degree आपस में सम्बन्धित एन्टिटीज़ की संख्या को इंगित करती है। जब एकमात्र Entity के अन्दर ही एक एसोसिएशन (Association) को Maintain किया जाता है, तो वहां एक Unary Relationship विद्यमान है।
उदाहरण के लिए,आइए SUBJECT नामक Entity पर विचार करते हैं। आइए, एक ऐसी परिस्थिति पर विचार करते हैं, जहां किसी विशेष विषय का चयन करने के लिए आपको एक अन्य विषय लेना अनिवार्य होता है; जैसे आप Economics तभी ले सकते हैं, जब आप Mathematics लेते हैं। इस प्रकार की Relationship को Unary Relationship कहा जाता है, डायग्राम आपको निचे दिया जा रहा है
जब दो Entities के बीच एक Association(संपर्क) होती है तो वहाँ एक Binary Relationship विद्यमान होती है। उदाहरण के लिए, ऊपर दी गई डायग्राम में TEACHER एवं STUDENT के बीच एक Binary Relationship है।
जब तीन एन्टिटीज़ (Entities) Associated अर्थात् आपस में सम्बन्धित होती हैं, तो उनके बीच Ternary Relationship विद्यमान होती है। उदाहरण के लिए, TEACHER, SUBJECT औ STUDENT नामक Entities, ‘teaches’ नामक एक Ternary Relationship का प्रयोग करते हुए रिलेटेड (Related) हैं, जिसे अग्रांकित Fig.-2.03 में दर्शाया गया है—
जब चार entities एसोसिएटेड (associated) होती हैं, तो उनके बीच एक (Quaternary Relationship) होती है।
‘studies’ एक Quatenary Relationship का उदाहरण है (Entities)-STUDENT, TEACHER, COURSE एवं SUBJECT सन्निहित हैं। इस रिलेशनशिप डायग्राम को दर्शाया गया है
यह एक ऐसी परिस्थिति को represent करता है जहाँ एक STUDENT एक SUBJECT जिसे एक TEACHER द्वारा COURSE-MATERIAL की सहायता से पढ़ाया जाता है।
विदित हो कि Relationship की डिग्री दो, तीन या चार से अधिक भी हो सकती है परन्तु ऐसी Degrees शायद ही होती हैं एवं इन्हें कोई विशेष नाम नहीं दिया जा सकता है। अतः । यी (Entities) के बीच Relationship को n-ry Relationship कहा जाता है।
Connectivity of Relationships
Relationships को One-to-One, One-to-Many एवं Many-to-Many के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। Connectivity नामक पद (Term) का प्रयोग इसी Relationship Classification को वर्णित करने के लिए किया जाता है।
E-R डायग्राम में Relationship की Connectivity को दर्शाने (इंगित करने) के लिए Related Entities के निकट 1, M या N लिखा जाता है। जिसे क्रमशः अगले पृष्ठ पर दी गई निम्नलिखित डायग्राम में दर्शाया गया है।
- एक One-to-One Relationship अर्थात 1:1 रिलेशनशिप में केवल दो ही Entities के बीच एक Association होती है। उदाहरण के लिए किसी कम्पनी का MANAGER केवल और केवल एक ही DEPARTMENT को Manage कर सकता है। इस प्रकार यहा One-to-One Connectivity विद्यमान है। इसे अग्रांकित डायग्राम में दर्शाया गया है
One-to-Many Relationship में एक Entity एक से अधिक entity से Associated होती है। उदाहरण के लिए, एक DEPARTMENT के एक से अधिक EMPLOYEE हो सकते हैं। इस प्रकार यहां One-to-Many Connectivity विद्यमान है। इसे निम्नांकित डायग्राम में दर्शाया गया है ।
Many-to-Many Relationship, दो ऐसी Entities का वर्णन करती है. जिनके बीच एक से अधिक Association होती है। उदाहरण के लिए, एक से अधिक STUDENT अनेक COURSE में Admission ले सकते हैं एवं किसी एक विशेष COURSE में अनेक STUDENT Admission करा सकते हैं। इसी प्रकार एक BOOK अनेक AUTHOR द्वारा लिखी जा सकती है और एक AUTHOR अनेक BOOK लिख सकता है। यह (Many-to-Many Connectivity को दर्शाता है। इसे निम्नांकितडायग्राम में दर्शाया गया है
Relationship Cardinality
Cardinality किसी Entity की Instances की उस संख्या को निर्दिष्ट है करती है, जो एक Relationship में Participate करने वाली अर्थात् भाग लेने वाली दूसरी Entity से Associated होती है।
दूसरे शब्दों में Cardinality, किसी Related Entity के एक ऑकरेन्स टोज़ (Occurance) के साथ दूसरी Entity की Occurances की विशिष्ट संख्या को अभिव्यक्त करती है। है। Associated Entities अर्थात् सम्बन्धित एन्टिटीज़ की वास्तविक संख्या Business Rules द्वारा निर्धारित की जाती है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी कम्पनी का Rule है, कि किसी विभाग (Department) में 100 से अधिक कर्मचारी नहीं हो सकते हैं तो DEPARTMENT_EMPLOYEE रिलेशनशिप को अनुशासित करने वाली Cardinality Rule को इस प्रकार अभिव्यक्त किया जा सकता है—“One department cannot havea maximum of 100 employee.”
Cardinality को प्रत्येक Entity के नीचे उसकी यथोचित संख्या को लिखकर, उपरोक्त डायग्राम की भांति इंगित किया जाता है।
पिछले पृष्ठ पर दी गई डायग्राम में कॉर्डिनलिटी (Cardinality) : (0, 100) का तात्पर्य यह है की किसी विभाग (Department) में अधिकतम 100 कर्मचारी हो सकते हैं, परन्तु यह भा सभव है कि उस (Formative Stage) अर्थात् निर्माण की अवस्था में कर्मचारियों की संख्या 0 (शून्य) अर्थात् एक भी न हो
अब मान लीजिए कि कम्पनी की नीति (Policy) यह भी है कि कोई भी कर्मचारी (Employee) आधक Courses को Join नहीं कर सकता है, जबकि वर्तमान में कम्पनी उपलब्ध कराती है। इस Cardinality को निम्नांकित डायग्राम में दर्शाया गया है
Entity List
किसी सिस्टम के Representation का निर्माण करने के लिए Database Model Entities एवं उनके एट्रीब्यूट्स और Relationships का प्रयोग करता है। Data Model हमें एक Entity List अथवा डेटा मैप (Data Map) अथवा दोनों प्रदान करता है।
एक Entity List, किसी Entity की उनके सभी Attributes की एक List अर्थात् सूची होती है। उदाहरण के लिए, एक BOOK Entity की Entity List को निम प्रकार अभिव्यक्त किया जा सकता है
BOOK (isbn, title, author, publication, publication_year, price)
Entity List, उन सभी Entites के Logical Name को निर्धारित करती है, जिनका प्रयोग डेटाबेस के डिज़ाइन एवं प्रयोग में किया जाना होता है। यह List अकेले उन सभी आवश्यक इन्फॉर्मेशन को Capture नहीं कर पाती है, जो डेटाबेस को डिज़ाइन करने के लिए वांछित होती हैं। डेटाबेस को डिज़ाइन करने के लिए एप्लीकेशन में प्रत्येक एन्टिटी का चेष्टित प्रयोजन, प्रत्येक एन्टिटी की एक-दूसरे से Relationship तथा उनके वांछित प्रयोजन को कैप्चर करना आवश्यक होता है, जिसके लिए हमें डेटा मैप (Data Map) जैसे Tool का प्रयोग करना चाहिए।
– पार्टिसिपेशन (Participation)
कोई Entity, किसी Relationship में दो प्रकार से Participate कर सकती । है अर्थात् भाग ले सकती है—Totally अथवा Partially। यह Participation, Mandatory अर्थात् अनिवार्य अथवा Optional अर्थात् वैकल्पिक हो सकता है।
जब किसी Relationship में एक Entity का अस्तित्व (Existence) उससे सम्बन्धित दूसरी Entity के अस्तित्व पर निर्भर करता है, तो इसे टोटल या मैनडेटरी पार्टिसिपेशन (Total or Mandatory Participation) कहा जाता है।
जब किसी Relationship में एक एन्टिटी के Occurence को उससे सम्बन्धित दूसरी Entity के अकरेन्स (Occurrence) की आवश्यकता होती है तो इसे ऑप्शनल या पार्शियल पार्टिसिपेशन (Optional or Partial Participation) कहा जाता है।
आइए, इस कॉन्सेप्ट को एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए, कोई EMPLOYEE अधिकतम दो COURSES को Join कर सकता है और साथ ही वह एक भी COURSE को join नहीं भी कर सकता है। इस प्रकार “EMPLOYEE Joins COURSE” Relationship में यह भी सभव है की कोई । EMPLOYEE किसी भी COURSE को ज्वॉइन न करें। अत: यहाँ EMPLOYEE के लिए COURSE आशनल (Optional) है;
परन्तु एक EMPLOYEE द्वारा किसी COURSE को अटेन्ड (Attend) किया जाना चाहिए, इसलिए EMPLOYEE एक मैनडेटरी (Mandatory) अर्थात अनिवार्य एन्टिटी (Entity) है। निचे दिए गए डायग्राम में Optional Entity को उसके बगल में एक छोटा वृत (Circle) बनाकर दर्शाया गया है
आपके लिए स्पष्ट रूप से यह समझना आवश्यक होता है कि किसी रिलेशनशिप में कोई Entry जाशनल (Optional) है या Mandatory; अन्यथा डेटाबेस के डिजाइन में अनावश्यक Temporary Entities का निर्माण हो सकता है।
reference-https://www.educba.com/relationship-in-
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