what is global warming in hindi-ग्लोबल वार्मिंग क्या है?

हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको what is global warming in hindi के बारे में बताया गया है की इसे कैसे प्रयोग करते है तो चलिए शुरू करते है

भूमंडलीय उष्मीकरण(global warminig)

भुमद्लीय उष्मीकरण (या आपका ग्लोबल वार्निंग) का अर्थ पृथ्वी की निकटस्थ –सतह वायु और महासागर के औसत तापमान में 20वि शताब्दी में हो रही वृद्धी और उसकी अनुमानित निरंतरता है पृथ्वी की सतह के निकट विश्व की वायु के औसत तापमान में 2005 तक 100 वर्षो के दौरान 0.74+-0.18 C(1.33+-0.32 F) की वृद्धी हुए है

जलवायु परिवर्तन पर वैठे अंतर सर्कार(intergovernmental) पैनल ने निष्कर्ष निकाला हिया की 20 वि शताब्दी के मध्य से संसार के औसत तापमान में जो वृद्धी हुए है उसका मुख्य कारण मनुष्य द्वारा मिर्मित ग्रीन हाउस गैसे से है

जैसा की नाम से ही स्पष्ट हिया की धारती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोत्तरी को ग्लोबल वार्मिंग कहा जा रहा है हमारी धरती पर सूर्य की किरणों से ऊष्मा प्राप्त करती है ये किरने वायुमंडल से गुजरती हुए धरती की सतह से टकराती है और फिर वाही से परावर्तित होकर पुन: लौट जाती है धरती का वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है जिसमे कुछ ग्रीन हाउस गैसे भी शामिल है इनमे से अधिकाश धरती के उपर एक प्रकार से प्राकृतिक आवरण बना लेती है जो लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेता है

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और इस कारण धरती के वातावरण को गर्म बनाए रखत है की मनुष्यों ,प्राणियों और पौधो के जीवित रहने के लिए कम से कम 16 C तापमान की आवश्यकता होती है वैज्ञानिक का मानना है की ग्रीन हाउस गैसों में बढ़ोत्तरी होने पर यह आवरण और भी सघन या मोटा होता जाता है ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकते लगता है और फिर यही से ग्लोबल वार्निंग के दुश्य्भव शुरू हो जाते है

IPCC के द्वारा दिए गए जलवायु परिवर्तन के मॉडल इंगित करते है की धरातल का औसत ग्लोबल तापमान २१वीं श्ब्ताब्दी के दौरान और अधिक बढ़ सकता है सारे संसार के तापमान में होने वाली इस वृद्धी से निम्नलिखित संभावित खतरे सम्मलित है

ग्लोबल वार्निंग के हानि

  • पर्यावरण के तापमान में वृद्धी हो रही है इसके साथ साथ हवा के संचरण में बदलाव आ गयी है
  • नई नई बीमरिओ पैदा हो रही है विभिन्न प्रकार के त्वचा एवं एलर्जी सम्बन्धी रोग बढ़ रहे है
  •  कार्बन-मोनो-ऑक्साइड की अधिकता से सांस लेने में परेशानी के साथ अन्य असाध्य रोगो  बह रही है।
  • पृथ्वी का तापमान बढ़ने से ग्लेशियरों के पिघलने की दर प्रतिवर्ष बढ़ रही है, जिससे बहुत से देशो में बाढ़ का गंभीर खतरा पैदा हो गया है। अमेरिका के भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण-दल की रिपोर्ट मोटामा ग्लेशियर नेशनल पार्क के 50 ग्लेशियरों में से अब इनकी संख्या मात्र 25 रह गई है।
  • बारिश चक्र में बदलाव के कारण गर्भो, बारिश और ठंड के मौसम की अवधि में भी बदलाव आ रहा  है। आग लगने, तूफान तथा बाढ़ आने का खतरा एवं चक्रवात की आवृत्ति बढ़ रही है।
  •  कुछ हिस्सों में अतिवर्षा तो कुछ हिस्सों में अतिसूखा पड़ रहा है। सूखे के कारण देश-विदेश के कुछ हिस्सों में खेती करना असंभव होता जा रहा है।
  • पर्यावरण में विषाक्त गैसें उत्पन्न हो रही है।
  • पशु-पक्षियों व अन्य प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा बढ़ रहा है
  • ओजोन परत में कमी आ रही है।
  • नदियां सूख रही है तथा भूजल स्तर बहुत नीचे जा रहा है। समुद्र का जल स्तर बढ़ने से जलीय जीवो के जीवन पर भी बुरा असर पड़ रहा है

reference-https://www.livescience.com/37003-global-warming.html

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