हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको DBMS Normalization in hindi के बारे में बताया गया है की क्या होता है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है
नॉर्मलाइज़ेशन (Normalization)
नॉर्मलाइजेशन (Normalization) की प्रक्रिया में पहला स्टेप (Step), E-R मॉडल को विभिन्न रिलेश (Relations) टेबल्स (Tables) में कन्वर्ट (Convert) करना होता है। अगला स्टेप (Step), कन्वर्ट (Convent) किये गए रिलेशन्स (Relations) टेबल्स (Tables) के लिए चेक (Check) करना होता है
एवं यदि आवश्यक होता है तो नन-रिडन्डैन्ट फॉर्स (Non-Redundant Forms) में कन्वर्ट (Convert) करना होता है। इसके पश्चात इस नन-रिड मॉडल (Non-Redundant Model) को डेटाबेस डैफिनिशन (Database Definition) में कन्वर्ट (Converr) किया जा है जो डेटाबेस के डिज़ाइन फेज (Design Phase) के उद्देश्य की पूर्ति करता है।
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अतः एक रिलेशन (Relation) को नार्मलाइज़ (Normalize) हुआ तभी माना जा सकता है, जब उसका प्रत्येक तत्व एक ही बार पर उपस्थित होता है और निश्चित अर्थ रखता है।
नॉर्मलाइज़ेशन की आवश्यकता (Need of Normalization)
नॉर्मलाइजेशन (Normalization) का मुख्य उद्देश्य डेटा रिडन्डैन्सी (Data Redundancy) को दूर करना होता है। जब किसी रिलेशन (Relation)/ टेबल (Table) में एक या एक से अधिक इन्फॉर्मेशन डेटा एक से अधिक बार रिपीट (Repeat) करता है तो इसे डेटा रिडन्डैन्सी (Data Redundancy) कहा जाता है।
इसके कारण डेटा के स्टोरेज (Storage), रिट्रीवल (Retrieval) एवं अपडेशन (Updation) के साथ समस्या हो सकती है। डेटा रिडन्डैन्सी (Data Redundancy) के कारण किसी डेटाबेस सिस्टम में इनकसिस्टेन्सी (Inconsistancy) और एनोमलीज़ (Anomalies) जैसी समस्यायें उत्पन्न होती हैं। अतः इन्हें दूर करने के लिए नॉर्मलाइज़ेशन (Normalization) की आवश्यकता होती है।
reference– fullstackgyan.com
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