विपणन की संकल्पना-Concept of Marketing in hindi

हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको Concept of Marketing in hindi के बारे में बताया गया है की क्या होता है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है

विपणन की संकल्पना (Concept of Marketing)

विपणन या मार्केटिंग वास्तव में व्यापारिक गतिविधियों का निष्पादन (performance) है जो उत्पादन उपभोक्ता तक सामान तथा सेवा के प्रवाह को निर्देशित करती है। यह सही उत्पाद को, सही स्थान पर, सही सन पर, सही दाम पर तथा सही मात्रा में प्राप्त करने की प्रक्रिया है।

विपणन या माकोटग एक आर्थिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा उत्पादक तथा उपभोक्ता के मध्य सेवाओं तथा सामान का प्रदान होता है तथा उनका मान धन (Monev Prices) के पदों में जात किया जाता है। मार्केटिंग उपभोक्ता की तरफ विशिष्ट आवश्यकताओं की पहचान करने से शुरू होती है तथा उस आवश्यकता की सन्तुष्टि पर समाप्त होती है।

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जब किसी व्यक्ति को कोई उत्पाद अथवा सेवा क्रय करने की आवश्यकता होती है तो वह इसके बदले में प्रायः धन (money) देता है। कभी-कभी बदले में कोई दूसरी सेवा या उत्पाद भी दिया जाता है। एक अच्छे मार्केटिंग व्यक्ति का कार्य है कि वह यह आदान प्रदान लम्बे समय तक बनाये रखे जिससे कि दोनों पार्टियों के मध्य सम्बन्ध मधुर बने रहें।

आधुनिक संकल्पना (Modern Concept)

विपणन मार्केटिंग की आधुनिक संकल्पना के अन्तर्गत ग्राहक की आवश्यकताओं पर ध्यान दिया जाता है तथा उसे मनपसंद उत्पाद/सेवा चुनने का अधिकार दिया जाता है। आज के युग में विपणन विभाग (Marketing department) कम्पनी का एक महत्वपर्ण/प्रमख प्रबन्धन बल है। अधिकतर कम्पनियाँ यह मानती है कि उत्पादन करना कोई बड़ी समस्या नहीं है, तकनीका योग्यता रखना भी पर्याप्त नहीं है, उत्पाद की मार्केटिंग करना अति महत्वपूर्ण है। विपणन या मार्केटिंग की आधुनिक संकल्पना के प्रमुख लक्षण निम्न है

(a) ग्राहक अनुकूलन (Customer Orientation)

(b) एकीकृत मार्केटिंग (Integrated Marketing), तथा

(c)ग्राहक सन्तष्टि द्वारा लाभ योग्य बिक्री (Profitable Sales through Customer’s Satisfaction)

 (a) ग्राहक अनुकूलन (Customer Orientation)-कम्पनी को पूर्णत: ग्राहक अनुकूलित होना चाहिए। ग्राहक अनुकूलन की आवश्यकता को G. Mortimer द्वारा भलीभाँति व्यक्त किया गया है जिसके अनुसार-

कम्पनी को ग्राहक की नजर से देखना चाहिए। संगठन चार्ट में ग्राहक सर्वोच्च रहना चाहिए। हम नहीं, ग्राहक बॉस (RAS) होना चाहिए। जो उपभोक्ता को चाहिए उसे वही मिलना चाहिए। फर्म को उस चीज का निर्माण करना चाहिए जो ग्राहक चाहता है न कि उसका जिसे वे बेच सके। व्यवसायी को सदैव ग्राहक की सी आवश्यकताओं की खोज में रहना चाहिए जिसके बारे में वह अनभिज्ञ हो। प्रभावी ग्राहक अनुकूलन के लिए फर्म को तय करना चाहिए

(i) ग्राहक की मूलभूत आवश्यकतायें,

(ii) अपने सीमित संसाधनों को दृष्टिगत् रखते हुए ऐसे बाजारों की तलाश करना जहाँ वह बेहतर सेवा प्रदान कर सका
(iii) उत्पाद के डिजाइन, साइज तथा रंग का चयन, जिससे विशिष्ट ग्राहकों की विशिष्ट आवश्यकताओं को सन्तुष्ट कर विक्रय तथा विपणन प्रबन्धन

 (b) एकीकृत मार्केटिंग (Integrated Marketing)-एकीकृत मार्केटिंग का अर्थ है

(i) कम्पनी के विभिन्न विभागों को यह जानना आवश्यक है कि जो कार्य वो कर रहे हैं, वो कम्पनी के नये ग्राहक बनान और पुराने ग्राहकों को बनाये रखने की योग्यता पर गहरा प्रभाव डालते हैं। फर्म के सभी विभागों के ग्राहकों पर प्रभावी को समन्वयित करने के लिए कुछ साधन अवश्य विकसित किये जाने चाहिए।

(ii) इसका अर्थ यह भी है कि उचित मार्केटिंग गतिविधियों के अन्तर्गत् चार ‘P’ अर्थात् उत्पादन (Produce), मूल्य (Price), स्थान (Place) तथा प्रमोशन (Promotion) का समझदारीपूर्वक रूपान्तरण (intelligent adaptation) तथा समन्वय (coordination), जिससे कि ग्राहकों के साथ मजबूत सम्बन्ध बनाये जा सके।
 (c) ग्राहक सन्तुष्टि द्वारा लाभ योग्य बिक्री (Profitable Sales through Customer Satisfaction)-कम्पना का प्रमख उद्देश्य ग्राहक सन्तुष्टि प्राप्त करना होना चाहिए। एक व्यक्ति, जो उत्पाद क्रय करता है, उसकी पसन्द से सन्तुष्ट होना चाहिए। वह उत्पाद कनिष्पादन (performance), लक्षण (features) तथा मूल्य (price) से सन्तष्ट होना चाहिए। फर्म का उद्देश्य ग्राहक सन्तष्टि के माध्यम से अधिक लाभ अर्जित करना होना चाहिए। अत: ग्राहक को सर्वोच्च मानते हए. उत्पादन शुरू करने से पहल, फर्म को निम्न प्रश्नों का उत्तर खोजना चाहिए

(i) क्या फर्म उत्पाद की माँग/आवश्यकता को पूर्ण करने योग्य उत्पादन कर सकती है?

(ii) उत्पाद के क्या गुण/लक्षण होने चाहिए?

(iii) सामान/प्रतिस्पर्धी उत्पादों से विनिर्माण हेतु चयनित उत्पाद किस प्रकार भिन्न है।

 (iv) ग्राहक की सन्तुष्टि प्राप्त करने के लिए उत्पाद का क्या स्टाइल (Style), रंग (Colours), मॉडल (Models), साइज (Size) आदि होना चाहिए।

(v) कौन से वितरण चैनल सर्वोत्तम होंगे?

 (vi) कौन सी मल्य-नीति (Price Policy) अधिकतम लाभ अर्जित करेगी?

 (vii) किस प्रकार के लोगों तथा बाजार को उत्पाद सर्वाधिक पसंद आयेगा?

 आधुनिक विपणन/मार्केटिंग संकल्पना के लाभ (Benefits of Modern Marketing Concept)

 नयी बाजार अनुकूलित सोच के प्रमुख लाभ निम्न है

(i) उपभोक्ता की आवश्यकताओं, पसंद और इच्छाओं को सभी व्यापारिक गतिविधियों में सर्वोच्च प्राथमिकता मिलती है।

 (ii) उत्पाद के विनियोजन (Planning) तथा विकास पर अधिक ध्यान दिया जाता है। जिससे कि उसे अधिक प्रभावी ढंग से विक्रय किया जा सकता है।

(iii) गुणवत्ता, मात्रा, ब्राँड, मॉडल आदि की बदलती हुई मांग के अनुरूप आपूर्ति को समांजित किया जा सकता है।

 (iv) समाज तथा उपक्रम के हितों (interests) को सुसंगत (harmonised) किया जा सकता है क्योंकि सेवा के माध्यम से लाभ कमाने पर जोर दिया जाता है।

(v) मार्केटिंग संकल्पना पर आधारित मार्केटिंग प्रणाली, व्यापारिक गतिविधियों के समग्र दष्टिकोण को सुनिश्चित करती है।

(vi) मार्कटिंग रिसर्च को मार्केटिंग प्रक्रिया का अभिन्न अंग माना जाता है तथा यह मार्केटिंग के क्षेत्र में निर्णय लेने के लिए प्रबन्धकीय औजार है।

reference-https://avalaunchmedia.com/the-five-marketing-concepts/

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