what is DDL Command in hindi-DDL कमांड क्या है?

हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको DDL Command in hindi के बारे में बताया गया है की इसे कैसे प्रयोग करते है तो चलिए शुरू करते है

Data Definition Language-DDL Commands

Data Definition Language Commands-DDL Commands विभिन्न Database Objects; जैसे—table (Table), व्यू (View), इन्डेक्स (Index) इत्यादि, को क्रिएट (Create) और मॉडिफाई (Modify) करने के लिए प्रयोग की जाती हैं।

CREATE DROP एवं ALTER डेटा डेफिनिशन लैंग्वेज (DDL) की प्रमुख कमाण्ड्स (Commands) है। यह कमाण्डस (Commands), डेटाबेसेज़ के मैनेजमेन्ट (Management) और एडमिनिस्ट्रेशन (Administration) से सम्बन्धित हैं।

विदित हो कि प्रत्येक DDL Statement के एग्ज़िक्यूशन (Execution) के पहले एवं पश्चात करन्ट टान्जैक्शन्स (Current Transactions) का कमिट (Commit) किया जाता है अर्थात इन कमाण्ड्स (Commands) अथवा स्टेटमेन्ट्स (Statements) द्वारा किए गए परिवर्तनों को डेटाबेसेज़ (Databases) में स्थायी रूप से स्टोर (Store) कर दिया जाता है।

CREATE TABLE Command

table (Table), एक डेटाबेस ऑब्जेक्ट (Database Object) होता है, जो रोज (Rows) और कॉलम्स (Columns) निर्मित होता है और जिसका एक निश्चित स्ट्रक्चर (Structure) होता है। table का प्रयोग डेटा (Data) को store और मैनिपुलेट (Manipulate) करने के लिए किया जाता है।

CREATE TABLE कमाण्ड (Command) का प्रयोग किसी tableको उसके कॉलम (Column) अथवा फील्ड (Field) के साथ-साथ प्रत्येक कॉलम (Column) अथवा फील्ड (Field) के टाइप (Type) एवं साइज (Size) के साथ परिभाषित करने के लिए किया जाता है। एक table में कम-से-कम एक कॉलम (Column) अथवा फील्ड (Field) का होना अनिवार्य होता है।

Syntax:-

CREATE TABLE <table name>
(
column1  data_type (column_width) [column constraints],
column2  data_type (column_width) [column constraints),
columnN data_type (column_width) [column constraints]
);

Syntax Analysis

<table name>:

 <table name> वह Name होता है जो किसी table को एसाइन (assign) किया जाता है। किसी table का नामकरण करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिएचाहिएं।

table के नाम में ब्लैंक स्पेसेस (Blank Spaces) या सिंगल कोट्स (Single Quotes) शामिल नहीं होने चाहिए

– table  के नाम के रूप में डेटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम्स (DBMS) के रिजर्व वर्ड्स (Reserve Words) का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

column : यह कॉलम/फील्ड के नाम को परिभाषित करता है।

data_type : यह कॉलम/फील्ड विशेष में स्टोर किए जाने वाले डेटा के प्रकार को निर्दिष्ट करता है।

column_width: यह कॉलम/फील्ड विशेष के निर्दिष्ट किए गए साइज (Size) को बाइट्स (Bytes) के टर्स (Terms) में एलोकेट (Allocate) अर्थात् आवंटित करता है।

• [column_constraint]: किसी table को क्रिएट करते समय आप उसमें स्टोर की जाने वाली वैल्यूज (Values) के ऊपर कुछ निश्चित कॉन्सट्रैन्ट्स (Constraints) अर्थात् लिमिटेशन्स (Limitations) को लागू कर सकते हैं। ये कॉन्सट्रैन्ट्स (Constraints) निम्नलिखित हैं

– NOT NULL (नॉट नल)

– UNIQUE (यूनिक)

– PRIMARY KEY (प्राइमरी ‘की’)

– CHECK (चेक)

– DEFAULT (डिफाल्ट)

– REFERENCES (रेफरेन्सेस) एवं

– ON DELETE CASCADE (ऑन डिलीट कैसकेड)

– Foreign key

आइए, अब एक-एक कर इन constraint (constraint) की चर्चा करते हैं।

-NOT NULL

नल (NULL) न तो स्पेस (Space) होता है और न ही शून्य (0) होता है। NULL का तात्पर्य डेटा की अनुपस्थिति (Absence) से होता है। जब किसी कॉलम (Column) अथवा फील्ड (Field) को NOT NULL कीवर्ड (Keyword) के साथ परिभाषित किया जाता है

तो उसमें वैल्यू (Value) को एन्टर (Enter) करना आवश्यक होता है। इस तरह NOT NULL किसी कॉलम (Column) अथवा फील्ड (Field) को नल वैल्यूज़ (Null Values) को एक्सेप्ट (Accept) करने से रोकता है।

UNIQUE :

UNIQUE यह सुनिश्चित करता है कि किसी कॉलम (Column) अथवा फील्ड (Field) विशेष में किसी विशिष्ट रिकॉर्ड की वैल्यू उसमें शेष रिकॉर्डस (Records) की वैल्यूज़ (Values) से भिन्न हाता है। UNIQUE constraint के साथ परिभाषित किया गया कोई भी कॉलम (Column) अथवा फील्ड (Field) किसी भी डुप्लीकेट वैल्यू (Duplicate Value) को एक्सेप्ट (Accept) नहीं करता है। कॉलम्स UNIQUE कॉन्सट्रेन्ट का प्रयोग table के नॉन-प्राइमरी की’ (Non-Primary Key Columns) के यूनिकनेस (Uniqueness) को मेन्टेन (Maintain) करने के लिए किया जाता है।

– PRIMARY KEY :

इस constraint का प्रयोग किसी table के किसी कॉलम  विशेष को Primary Key के रूप में परिभाषित करने के लिए किया जाता है किसी table में एक और केवल एक ही Primary Key हो सकता है। जब किसी डेफिनिशन (Table Definition) में किसी कॉलम (Column) अथवा Field का PRIMARY KEY  कॉन्सटैन्ट के साथ परिभाषित किया जाता है

तो उस कॉलम (Column)/फील्ड (Field) में नोट नल वैल्यूज – (Non-Null Values) को Enter करना आवश्यक होता है एवं साथ ही उस वल्यू को अब (Rows) की वैल्यूज़ (Values) से भिन्न होना आवश्यक होता है। प्राइमरी ‘की‘ constraint (Primary Constraint) को कॉलम (Column)/फील्ड (Field) लेवल (Level) अथवा table लेवल (Table level) पर परिभाषित किया जा सकता है।

इसे भी देखे –

जब प्राइमरी ‘की’ (Primary Key) को कम्पाजिट का (Composite Key) अर्थात् एक से अधिक कॉलम (Column) अथवा फील्ड (Field) पर परिभाषित करना होता है तो PRIMARY KEY constraint को table-लेवल (Table-Level) पर क्रिएट किया जाना आवश्यक होता है।

CHECK :

इस Constraint का प्रयोग किसी कॉलम (Column) अथवा फील्ड (Field) में Enter अथवा अपडेट (Update) की जाने वाली वैल्यूज़ (Values) को कन्ट्रोल (Control) कर के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग एक सीमा के अंदर किसी कॉलम (Column) फील्ड (Field) : वैल्यूज़ (Values) को एक्सेप्ट (Accept) करने हेतु उस कॉलम (Column)/फील्ड (Field) के लिए एक कंडीशन (Condition) को निर्दिष्ट करने के लिए किया जाता है।

यदि एन्टर (Enter) की गई वैल्य उस कंडीशन (Condition) को सैटिसफाई (Satisfy) करती है तो उस वैल्यू (Value) को उस कॉलम (Column), फील्ड (Field) द्वारा एक्सेप्ट (Accept) कर लिया जाता है; अन्यथा रिजेक्ट (Reject) कर दिया जाता है उदाहरण के लिए,

CONSTRAINT CheckSal CHECK (BasicSalary> = 10000 AND BasicSalary = 20000)

यह स्टेटमेन्ट BasicSalary फील्ड की उन्हीं वैल्यूज़ (Values) को एक्सेप्ट (Accept) करेगा जो 10000 के बराबर अथवा इससे अधिक परन्तु 20000 से कम अथवा 20000 के बराबर होंगी।

-DEFAULT :

इस constraint (Constraint) का प्रयोग किसी भी कॉलम फील्ड में वैल्यू को एसाइन (Assign) किए जाने से पहले उसमें डिफॉल्ट वैल्यू (Default Value) को स्टोर करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि अधिकांशतः कर्मचारियों की बेसिक सैलरी (Basic Salary), 12000.00 है तो BasicSalary फील्ड में सभी रोज़ (Rows) रिकॉर्ड्स (Records) की डिफॉल्ट वैल्यू (Default Value) के रूप में 12000.00 को निम्न प्रकार एसाइन (Assign) किया जा सकता है

BasicSalary NUMERIC (9, 2) DEFAULT 12000.00

– REFERENCES :

इस constraint (Constraint) का प्रयोग दो टेबल्स की रेफरेन्शियल इन्टिग्रिटी (Referential Integrity) को कार्यान्वित करने के लिए किया जाता है। REFERENCES constraint के पश्चात पहले रिलेटेड table (Related Table) का नाम एवं उसके प्राइमरी ‘की’ (Primary Key) के नाम को निर्दिष्ट किया जाता है।

– ON DELETE CASCADE :

इस constraint (Constraint) का प्रयोग REFERENCES constraint के साथ किया जाता है। इस ऑप्शन (Option) का प्रयोग उस स्थिति में किया जाता है जब हम पैरेन्ट table(parent Table) से किसी रिकॉर्ड (Record) को डिलीट (Delete) किए जाने पर उसकी child table  से रिलेटेड (Related) सभी Records को डिलीट (Delete) करना चाहते हैं।

अतः यह (Constraint), रेफरेन्शियल इन्टिग्रिटी constraint (Referential Integrity Constraint) का एक मान लीजिए कि हमारे पास “Student” एवं “Course” नामक दो टेबल्स (Tables) हैं। “Student” table में  छात्रों के रजिस्ट्रेशन नम्बर (Registration Number), नाम (Name) और पते (Address) स्टोर है तथा “course” table में प्रत्येक छात्र द्वारा चयन किए गए विभिन्न कोर्सेस (Courses) की जानकारी स्टोर है।

इसका कार्य यह है कि “Student” table के प्रत्येक छात्र के रिकॉर्ड के “Student” और “Course” टेबल्स क मध्य एक पैरेन्ट-चाइल्ड रिलेशनशिप (Parent-Child Relationship) है। अब यदि जब कभी भी “Student” table से किसी रिकॉर्ड को डिलीट (Delete) किया जाता है

तो “Course” से उस रिकॉर्ड (Record) से सम्बन्धित सभी रिकॉर्ड्स (Records) को डिलीट (Delete) कर दिया जाना चाहिए। इस कार्य को ON DELETE CASCADE का  ऑप्शन का प्रयोग निम्न तरह से करके निष्पादित किया जा सकता है

mysql> show databases;

mysql> create database javahindi;

mysql> use javahindi;

mysql> create table student
    -> (
    -> RegNo int(3) primary key,
    -> Name varchar(30) not null,
    -> address varchar(30)
    -> );

mysql> create table course
    -> (
    -> CourseName char(30) not null,
    -> CourseFee int(7) not null,
    -> CourseNo int(3) not null,
    -> RegNo int(3)
    -> );

Now, you want insert table any data then this process

Insert into table_name values(column1_value,column2_value,column3_value,………);

Example

किसी table के स्ट्रक्चर (Structure) को देखने के लिए DESCRIBE कमाण्ड का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, Student table (Table) के स्ट्रक्चर (Structure) को देखने के लिए निम्नलिखित कमाण्ड का प्रयोग कया जाएगा

SQL> DESCRIBE Student

इसी प्रकार, Course table (Table) के  स्ट्रक्चर (Structure) को देखने के लिए अग्रलिखित कमाण्ड का प्रयोग किया जायेगा

SQL> DESCRIBE course ;

ALTER TABLE कमाण्ड (ALTER TABLE Command)

ALTER TABLE कमाण्ड (Command) का प्रयोग किसी पहले निर्मित table के स्ट्रक्चर (Structure) को मॉडिफाई(Modify) अर्थात् सुधारने अथवा परिवर्तित करने के लिए किया जाता है। ALTER TABLE कमाण्ड का प्रयोग कि पुर्वनिर्मित table में एक अथवा एक से अधिक कॉलम (Column) अथवा फील्ड (Field) का एड (Add) करने, उनमें डेटा टाइप्स (Data Types) और साइज (Size) को परिवर्तित करने के लिए तथा कॉन्सट्रैन्ट्स (Constraints) को पर (Add) अथवा डिलीट (Delete) करने के लिए किया जा सकता है।

Syntax:-

(I) ALTER TABLE &lt;tablename> ADD column_name data_type;

(II) ALTER TABLE &lt;table name>ALTER COLUM column_name data_type;

(iii) ALTER TABLE &lt;table name>DROP COLUMN column_name;

(IV) ALTER TABLE &lt;table_name>ADD/Drop constraint_name;

उदाहरण 1- यह कमाण्ड Employee नामक table में DateOfBirth नामक एक DATETIME टाइप का कॉलम फील्ड एड (add) करता है।

mysql> alter table employee add DateOfBirth datetime;

उदाहरण 2- यह कमाण्ड Employee table के DeptNo कॉलम (Column) अथवा फील्ड (Field) के डेटा टाइप ।

(Data Type)-INT को SMALLINT से परिवर्तित करता है।

ALTER TABLE employee ALTER COLUMN deptno smallint;

उदाहरण 3- यह कमाण्ड Employee table से DateOfBirth नामक कॉलम (Column) अथवा फील्ड (Field) को delete करता है

alter table student drop column dateofbirth;

उदाहरण 4-यह कमाण्ड EMPLOYEE table के EmpCode में एक प्राइमरी की कॉन्सटैन्ट (Primary Key Constraint) को एड (Add) करता है, ताकि इस कॉलम (Column) अथवा फील्ड (Field) NULL वैल्यू (Value) को एन्टर (Enter) नहीं किया जा सके एवं इसकी सभी वैल्यूज़ (Value यनिक (Unique) रहें।

 ALTER TABLE Employee ADD CONSTRAINT PK_EmpCode PRIMARY KEY (EmpCode);

उदहारण 5- यह उदाहरण Employee table से PK EmpCode नामक constraint (Constraint) क (Delete) करता है।

ALTER TABLE Employee DROP CONSTRANT PK_EmpCode;

 DROP TABLE कमाण्ड (DROP TABLE Command)

DROP TABLE कमाण्ड का प्रयोग किसी table को उसके स्ट्रक्चर (Structure) को सभी रिकॉर्ड्स (Records) समेत डिलीट (Delete) करने के लिए किया जाता है।

syntax

DROP TABLE <tablename>

उदहारण 6-यह कमाण्ड Student नामक table को उसके स्ट्रक्चर (structure) एवं सभी रिकॉर्ड्स (records) समेत डिलीट (delete) करता है।

DROP TABLE Student;

DROP TABLE कमाण्ड निर्दिष्ट की गयी table से सर्वप्रथम सभी रिकॉर्ड्स (Records) को डिलीट (Delete) ना है एवं तत्पश्चात् table के डेफिनिशन (Definition) अर्थात् स्ट्रक्चर (Structure) को डिलीट (Delete) करता है।

BAD स्टेटमेन्ट किसी भी table को डिलीट (Delete) करने से पहले एवं डिलीट (Delete) करने के पश्चात् स्वतः ही COMMIT स्टेटमेन्ट को एग्ज़िक्यूट (Execute) करता है। इसके परिणामस्वरूप, डेटाबेस में परिवर्तनों को स्थायी बना दिया जाता है। DROP TABLE स्टेटमेन्ट table के सभी इन्डेक्सेस (Indexes) को भी डिलीट (Delete) कर देता है।

DROP कमाण्ड का प्रयोग न केवल table वरन् डेटाबेस एवं डेटाबेस के अन्य ऑब्जेक्ट्स (Objects) को भी डिलीट (Delete) करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए,

DROP DATABASE;

 DROP VIEW;

DROP INDEX;

reference-https://www.edureka.co/community/30109/list-few-commands-of-ddl-dml-and-

DDL Command in hindi

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