Generation of Computer in hindi – कंप्यूटर की पीढ़ी हिंदी में

हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट Generation of Computer in hindi  में हम आपको बताएँगे की क्या होता है और कैसे यह काम करता है तो चलिए शुरू करते है

हार्डवेयर (Hardware) के अनुसार

विभिन्न पीढ़ियों के साथ-साथ कम्प्यूटर हार्डवेयर का विकास परिवर्तित होता गया ।

(i). पहली पीढ़ी (First generation)

पूर्व में कम्प्यूटर का निर्माण लगभग सन् 1942 के समय वेक्यूम ट्यूब (Vacuum tube) का इस्तेमाल किया गया।

ये आकार में बहुत बड़े साइज के होते थे एवम् अत्यधिक ऊर्जा का प्रयोग करते थे। इसमें डाटा स्टोरेज के लिए बहुत ही कम जगह होती थी एवम् प्रोसेसिंग स्पीड बहुत धीमी थी। इसके संचालन में खर्चे का भार बढ़ता था । यह एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में बहुत महँगा पड़ता था। डाटा तथा स्टोरेज के लिए पंचकार्ड (Punch card) एवम् टेप (Tape) का प्रयोग किया जाता था।

(ii). दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर ( Second generation)

दूसरी पीढ़ी की शुरुआत लगभग, सन् 1955 के बाद से मानी जाती है। इसमें वैक्यूम ट्यूब की जगह सेमीकंडक्टर (Semiconductor) ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया। यह पहले से कम आकार के कम्प्यूटर थे जो ऊर्जा की कम खपत करते थे।

डायग्राम

इसी पीढ़ी के अन्तर्गत बैच आपरेटिंग सिस्टम (Batch operating system) का विकास हुआ। डाटा स्टोरेज के लिए मैग्नेटिक स्टोरेज डिवाईस (Magnetic Storage Device) आदि का प्रयोग शुरू हुआ।

दूसरी पीढ़ी के प्रारंम्भ से कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग स्पीड बढ़ी एवम् कार्य-कुशलता आसान हो गई। व्यावसायिक कार्य हेतु कम्प्यूटर का विकास भी इसी पीढ़ी में हुआ।

(iii). तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Third Generation Computer)

तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर का उद्भव सन् 1964 से हुआ, इसमें ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट चिप (Integrated circuit chip) का उपयोग शुरू हुआ।

 डायग्राम

इस पीढ़ी के अन्तर्गत इनपुट तथा आउटपुट डिवाईस का प्रयोग शुरू हुआ, जैसे- की बोर्ड, मॉनीटर (Keyboard, monitor) इत्यादि; इससे कम्प्यूटर में कार्य करना आसान हुआ।

यह यूजर-फ्रेन्डली माना जाने लगा। सर्किट चिप के प्रयोग से कम्प्यूटर की गति पहले के पीढ़ी के कम्प्यूटर से तीव्र हुई जिससे पर्सनल कम्प्यूटर का विकास हुआ साथ ही साथ व्यावसायिक कार्य की क्षमता बढ़ गई।

अन्य हाईवेयर जैसे कि रैम (RAM) का विकास भी इसी पीढ़ी में हुआ। विभिन्न प्रकार के साफ्टवेयर का विकास बेहतर कार्य-पद्धति के लिए इसी पीढ़ी में हुआ।

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(iv). चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Fourth Generation)

चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर का विकास सन् 1975 के बाद से शुरू हुआ। इसमें (VLSI very large scale integrated) सर्किट का प्रयोग किया जाने लगा जिससे प्रोसेसिंग स्पीड बहुत ज्यादा बढ़ गई तथा मल्टीटास्किंग (Multitasking) कार्यों का इस्तेमाल किया गया। मैग्नेटिक डिस्क की जगह सेमीकंडक्टर (Semiconductor) मेमोरी ने स्थान प्राप्त किया।

सभी कम्प्यूटर में ग्राफिक्स कार्ड (Graphics Card) का प्रयोग शुरू हुआ। एवम् यूजर के लिए कार्य करना आसान हो गया।

चित्र 5

ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे डॉस, विन्डोज (DOS, WINDOWS) का विकास भी इसी पीढ़ी में हुआ। साथ ही साथ हाई लेबिल लैंग्वेज का (High level language) का विकास भी हुआ।

(v). पाँचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर (Fifth Generation Computer)

पाँचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर जो आजकल हमारे द्वारा प्रयोग में लाये जा रहे हैं, जिसकी शुरुआत सन् 1990 के बाद से शुरू हुआ जिसमें ULSI – ultra large scale integrated सर्किट चिप का प्रयोग किया गया तथा माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor) चिप का प्रयोग शुरू हो गया।

सूचना प्रौद्योगिकी का विकास बहुत ही तेजी से शुरू हुआ जिसमें डाटा का प्रयोग, मल्टीमीडिया, एनीमेशन इत्यादि का विकास हुआ। डाटा स्टोरेज के लिए ऑप्टिकल डिस्क (Optical disc) का प्रयोग होने लगा।

इंटरनेट के प्रयोग ने तो सारी हदें तोड़ दीं। कम्प्यूटर की मदद से उच्चतम गति की प्रोसेसिंग के द्वारा सेटेलाइट (Satellite) से एक जगह से दूसरी जगह सूचनाओं को भेजना बहुत ही आसान हो गया। मेथेमेटिकल एवम् साईन्टिफिक रिसर्च के फील्ड में बेहतर कार्य किया।

reference – https://www.tutorialspoint.com/basics_of_computer_science/basics_of_computer_science

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