Error detection and correction in hindi-एरर डिटेक्शन और करेक्शन क्या है?

हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको Error detection and correction in hindi व्क्या है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है

Error Detection and Correction

कम्यनिकेशन माध्यम (Communication Medium) के वातावरणीय हस्तक्षेप (Environmental Interference) और भौतिक  खराबी (Physical Defects) ट्रान्समिशन के दौरान कुछ त्रुटियां (Errors) का कारण बन सकते हैं। एरर कोडिंग (Error Coding) एक ऐसी विधि है, जिससे इन्फॉर्मेशन (Information) के सोर्स (Source) से डेस्टिनेशन (Destination) तक पूर्णतःTransfer करने के लिए सुनिश्चित करने के लिए इन Errors को खोजे और निवारण करे।

एरर कोडिंग (Error Coding) का प्रयोग कम्प्यूटर मेमोरी (Computer Memory), मैगनेटिक और ऑप्टिकल डेटा स्टोरेज मीडिया(Magnetic and Optical Data Storage), सेटेलाइट और डीप स्पेस कम्यूनिकेशन्स (Satellite and Deep Space communications). नेटवर्क कम्युनिकेशन्स (Network Communications), सेलुलर टेलीफोन नेटवर्क्स (Cellular Telephone Networks) और सभी प्रकार के डेटा कम्यूनिकेशन (Data Communication) में त्रुटि सहिष्णुता संगणन (Fault Tolerant Computing) के लिए किया जाता है।

एरर कोडिंग (Error Coding) ट्रान्समिशन (Transmission) के लिए सोर्स (Source) पर लम्बे बिट वर्स (Longer Bit Words) में डेटा बिट्स (Data Bits) को एनकोड (Encode) करने के लिए गणितीय सूत्रों(Mathematical Formulae) का प्रयोग करता है।

इसके उपरान्त लक्ष्य अर्थात् डेस्टिनेशन (Destination) सूचनाओं को पुनः प्राप्त (Retrieve) करने के लिए कोड वर्ड (Code Word) को डिकोड (Decode) किया जा सकता है।

कोड वर्ड (Code Word) में स्थित अतिरिक्त बिटस बाहल्यता (Redundancy) उपलब्ध कराती हैं। प्रयोग की जाने वाली कोडिंग स्कीम (Coding Scheme) के अनरूप. लक्ष्य (Destination) को यदि कम्यूनिकेशन माध्यम (Communication Medium) से कोई त्रुटि (Error) प्राप्त होती है

, तो इसका निर्धारण करने के लिए, यह बाहुल्यता (Redundancy), डिकोडिंग प्रोसेस (decoding Process) का प्रयोग करने की अनुमति प्रदान करती है। कुछ परिस्थितियों में यह बाहुल्यता (Redundancy) प्राप्त त्रुटि (error) का समाधान भी करती है. ताकि डेटा को रिट्रान्समिट (Re-transmit) करने की आवश्यकता न है

सम्भावित (Expected) त्रुटि के प्रकारों (Types of Errors), कम्यूनिकेशन मीडियम (Communication Medium) की सम्भावित त्रुटि दर (Expected Error Rate) और क्या डेटा ट्रान्समिशन (Data Transmission) सम्भव है अथवा नहीं, के आधार पर विभिन्न एरर कोडिंग स्कीम्स (Error Coding Schemes) को चुना जाता है।

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तीव्र प्रोसेसर्स (Processors) और बेहतर कम्यूनिकेशन्स तकनीक (Communications Technique) अधिक जटिल कोडिंग स्कीम्स (Coding Schemes) बनाती हैं, जो बेहतर एरर डिटेक्टिंग और करेक्टिंग (Error Detecting and Correcting) क्षमताओं, अपेक्षाकृत छोटे इम्बेडेड सिस्टम्स (Embedded Systems) के लिए सम्भावना के साथ सन्तुलित एवं पुष्ट कम्यूनिकेशन (Communication) की अनुमति प्रदान करती हैं।

फिर भी यदि हम यह जानते हैं कि किस प्रकार की एरर (Error) उपस्थित हो सकती है, हम उसे सरलता से पहचान नहीं सकते। ऐसा करने के लिए हम प्राप्त हुए इस ब्लॉक (Block) की तुलना अभीष्ट ट्रान्समिशन (Transmission) के अन्य ब्लॉक (Block) से कर सकते हैं।

इस मैकेनिज्म (Mechanism) में सोर्स डेटा ब्लॉक (Source Data Block) को दो बार send  किया जाता है। रिसीवर (Receiver) इनकी तुलना एक कम्पयरेटर (Comparator) की सहायता से करता है और यदि उसे इन दोनों में कोई भिन्नता प्राप्त होती है, तो यह सेन्डर (Sender) को रि-ट्रान्समिशन (Re-Transmission) करने के लिए रिक्वेस्ट (Request) करता है।

और अधिक उन्नत एरर करेक्शन (Error Correction) प्राप्त करने के लिए, एक डेटा ब्लॉक (Data Block) की तीन प्रतियां send  की जाती हैं और बहुमत निर्णय सही ब्लॉक (Block) को चुनता है। ये विधियां अत्यन्त अप्रभावशाली हैं और ट्रैफिक (Traffic) को दो अथवा तीन गुना बढ़ा देती हैं।

सौभाग्यवश अपेक्षाकृत अधिक प्रभावशाली एरर डिटेक्शन और करेक्शन कोड्स (Error Detection and Correction Codes) भी हैं। कम्यूनिकेशन (Communication) में प्राप्त एरर्स (Erroes) के साथ निपटने के लिए दो मल स्ट्रेटजीज़ (Basic Strategies) हैं। इनमें से पहली है—भेजे जाने वाले प्रत्येक डेटा ब्लॉक (Data Block) के साथ पर्याप्त रिडयडेन्ट इन्फॉर्मेशन्स (Redundant Information) सम्मिलित करना,

ताकि रिसीवर (Receiver) यह निष्कर्ष निकाल सके कि टान्समिट (Transmit) किया गया कैरेक्टर (Character) क्या होना चाहिए। दूसरी है भेजे जाने वाले प्रत्येक डेटा ब्लॉक (Data block) के साथ मात्र पयाप्त रिडयन्डेन्ट इन्फॉर्मेशन्स (Redundant Information) सम्मिलित करना,

ताकि रिसीवर (Receiver) यह निष्कर्ष निकाल सक एरर (Error) उपस्थित हो गई है, परन्तु इसमें रिसीवर (Receiver) यह नहीं जान पाता है कि क्या एरर (Error) उपस्थित हुइ आ वह इस डेटा ब्लॉक (Data Block) को रि-ट्रान्समिट (Re-Transmit) करने के लिए रिक्वेस्ट (request) करता है

स्थापक स्ट्रेटजी करेक्टिंग कोडस (Error-Correcting Codes) और बाद की स्ट्रेटजी एरर-डिटेक्टिंग कोडस (Error-Detecting Codes). का प्रयोग  करती हैं। एरर्स (Errors) को किस प्रकार हेण्डल (Handle) किया जा सकता है. यह समझने के लिए हमें यह जानना है।

कि वास्तव में एरर (Error) क्या है?

सामान्यतः एक frame  में m डेटा बिट्स (Data Bits) अर्थात मैसेज बिटस (Message bits) और r Redundant Bits अर्थात् चैक बिट्स (Check Bits) होती हैं। मान लेते हैं कि बिटस (Bits) की कुल  सख्या n (m+r) है। इस प्रकार एक n |बट यूनिट म डटा और चेक बिट्स होती हैं. जिसे । बिट कोदवई के रूप में जाना जाता है

reference- https://www.tutorialspoint.com/data_communication_computer_network/error_detection_and_correction.htm

Error detection and correction in hindi

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