Management of operating system in hindi-ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रबंधन

हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको Management of operating system in hindi के बारे में बताया गया है की क्या होता है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करत

एक ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा निम्न प्रबन्ध किए जाते है।

1. CPU मैनेजमेंट (CPU Management)

 मल्टीयूजर (Multi User) वातावरण में कई उपयोगकर्ता विभिन्न प्रोग्राम्स को रन करते हैं और इस प्रकार कई प्रोग्राम्स कम्प्यूटर में रन करने के लिए प्रकट करते हैं। अत: ऐसा वातावरण उपलव्य कराने के लिए जिसमें उपयोगकर्ता अपने प्रोग्राम का निष्पादन कर सके ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा निम्न प्रबन्ध किया जाता है।

  1. प्रोसेसिंग की सुविधा।
  2. प्रोसेसिंग को समाप्त करना।
  1. प्रोसेस का गुण प्राप्त करना।
  2. प्रोसेस के गुणों को सेट करना।
  3. किसी कार्य को लोड करना।
  4. किसी प्रोग्राम को निष्पादित करना।
  5. किसी कार्य को समाप्त करना।
  6. किसी घटना के लिए इंतजार।
  7. डिवाइस का प्रबन्धन 

 2.(Device Management)

डिवाइस का प्रबन्धन करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा निम्न कार्य किए जाते है।

  1. डिवाइस से प्रार्थना करना।
  2. डिवाइस की प्रार्थना की पावती देना।
  3. 3. डिवाइस को मुक्त करना।
  4. डिवाइस पर लिखना और उससे पढ़ना।
  5. डिवाइस के गुणों को प्राप्त करना।
  6. डिवाइस के गुणों को सेट करना।

  3.फाइल का प्रबन्ध (File Management)

ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा फाइल का प्रबन्धन निम्न प्रकार से किया जाता

  1. फाइल का निर्माण करना।
  2. फाइल को समाप्त करना।
  3. फाइल को खोलना।
  4. फाइल को बन्द करना।
  5. फाइल को पढ़ना।
  6. फाइल पर लिखना।
  7. फाइल के गुणों को प्राप्त करना।
  8. फाइल के गुणों को सेट करना।

4.डाटा प्रबन्धन(Data Management)

ऑपरेंटिग सिस्टम का प्रमुख कार्य डाटा का प्रबन्धन करना भी है। डाटा के बेहतर प्रबंधन हेतु  यह निम्न कार्य करता है।

  1. डाटा को स्वीकार करना।
  2. प्रोग्राम को डाटा भेजना।
  3. प्रोग्राम से डाटा का स्थानांतरण।

5.प्रोसेस प्रबन्धन (Process Management)

ऑपरेंटिग सिस्टम द्वारा निम्न दो प्रकार की प्रोसेसिंग सुविधा प्रदान की जाती है

  1. सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम-सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम में एक समय में सिर्फ एक प्रोग्राम ही निष्पादित हो सकता है। यह सिर्फ एक उपयोगकर्ता हेतु बना होता है सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम विभिन्न रूपों में उपलब्ध हैं, जैसे MS-DOS (Microsoft Disk Operating System), DR-DOS आदि।
  2. मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम-मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम में एक ही समय पर प्रोग्राम्स निष्पादित हो सकते हैं। यह कई उपयोगकर्ताओं के लिए बना होता है। मल्टी यूजर आ सिस्टम भी कई रूपों में उपलब्ध हैं, जैसे UNIX, ONIX. CCP/M (Concurrent control Program for Micro Computer), NOS (Network Operating System), (Real Time Operating System), Linux आदि।

6.मैमोरी प्रबन्धन (Memory Management)

मैमोरी में रहने वाले विभिन्न प्रोग्राम्स के संगठन हेतु हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की विधियाँ की ओर संकेत करता है।

मैमोरी प्रबन्धन इकाई निम्न घटकों को रखता है।

  1. डायनमिक स्टोरेज रिलेकेशन हेतु सुविधा प्रदान करता है।
  2. मैमोरी में संग्रहित प्रोग्राम के उपयोग हेतु सुविधा प्रदान करना।
  3. किसी अवांछित पहँच के विरूद्ध सुरक्षा प्रदान करना।

प्रोग्राम और डाटा को तार्किक भागों में विभाजित किया जाता है। जिसे सेगमेंट (Segment) कहते है  इस प्रकार सेगमेंट तार्किक रूप से सम्बन्धित निर्देशों और डाटा का समूह होता है। इसे प्रोग्रामर या ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा भी जनित किया जा सकता है सेगमेंट का प्रोग्राम ओवरले(program overlay) भी कहते है

इसे भी जाने-

प्रोग्राम सेगमेंट को अन्य विधि द्वारा भी निर्मित किया जा सकता है जिसे पेजिंग(paging) कहते है यह ओवेहलाई के समान ही होता है। इस प्रकार ऐप्लीकेशन प्रोग्राम्स को पेजिंग की सहायता से सेगमेंट में  विभाजित किया जाता है ये सेगमेंट पेज (Pages) कहलाते हैं पेजिंग और ओव्हरलेइंग क मध्य निम्न दो अन्तर है।

1.सामान्यत: पेज समान लम्बाई के होते है जबकि ओव्हरले प्रोग्राम्स के तार्किक विभाजन होते हैं और इस प्रकार वे विभिन्न आकारों के हो सकते हैं।

2.पेजिंग की सहायता से ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोग्राम सेगमेंट का सृजन करता है, जबकि ओव्हरलेईंग की सहायता से प्रोग्राम सेगमेंट का सृजन उपयोगकर्ता द्वारा किया जाता है।

7.सुरक्षा (Security)

ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा अपने उपयोगकर्ताओं को सुरक्षा की सुविधा प्रदान की जाती है। यह उपयोगकर्ताओं की सूची का प्रबन्धन करता है और उन्हें पासवर्ड सुरक्षा प्रदान करता है।

8.शिडयूलिंग (Scheduling)

ऑपरेटिंग सिस्टम निम्न दो प्रकार के शिडयूल (Schedule) प्रदान करता है।

  1. उच्च स्तरीय-यह ऐसे कार्यों की ओर संकेत करता है, जो संसाधनों हेतु कतार में प्रविष्ट होने के लिए तैयार होंगे। उपयोगकर्ता जो कतार में तीव्र प्रविष्ट हेतु प्रीमियम अदा करता है, को प्राथमिकता दी जा सकती है।
  2. निम्न स्तरीय-यह डिस्पैचर (Dispatcher) भी कहलाता है। यह उस विधि का निर्धारण करता है, जो CPU के समय को चिन्हित कर सके।

9.अन्य प्रबन्धन

ऑपरेंटिग सिस्टम निम्न प्रकार के कार्यों का भी प्रबन्धन करता है।

  1. टेकस्ट एडीटर
  2. दिनाँक प्राप्त करना और व्यवस्थित करना।
  3. विभिन्न प्रकार की सुरक्षा प्रदान करना।
  4. समय प्राप्त करना और व्यवस्थित करना।
  5. एक माध्यम से दूसरे माध्यम पर फाइल कॉपी करना।
  6. विभिन्न माध्यमों को उपयोगी बनाना।

पी. सी. के लिए कुछ प्रचलित ऑपरेटिंग सिस्टम (Some Popular O/S for PC’s)

पी. सी. के लिए कुछ प्रचलित ऑपरेटिंग सिस्टम निम्न हैं1.

  1. एम.एस. डॉस (MS-DOS)
  2. विंडोज (Windows)
  3. विंडो एन-टी (window NT)
  4. यूनिक्स (UNIX)
  5. लायनेक्स (LYNIX)

उपरोक्त सिस्टम का आगे के अध्यायों में क्रमश: वर्णन किया जाएगा।

reference-https://www.commit.works/management-operating-

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