Adverse Effect of Accident in hindi-दुर्घटना के दुष्परिणा हिंदी में

हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट Adverse Effect of Accident in hindi में हम आपको बताएँगे की क्या होता है और कैसे यह काम करता है तो चलिए शुरू करते है –

दुर्घटना के दुष्परिणाम (Adverse Effect of Accident) :

दुर्घटना चाहे औद्योगिक प्रकार की हो अथवा किसी अन्य प्रकार की हो, उसके दुष्परिणाम से व्यक्ति, समाज, पूरे देश पर प्रभाव पड़ता है। औद्योगिक दुर्घटनाओं का दुष्प्रभाव निम्न को सर्वाधिक प्रभावित करता है-

(i) उद्योग और उद्यमी पर प्रभाव (Effect on the Industry and Owner)—कोई दुर्घटना उद्योग और उद्यमी के लिए बहुत महंगी साबित हो सकती है। दुर्घटना से दो प्रकार की कीमत उद्योग को चुकानी पड़ती है—

(a) प्रत्यक्ष कीमत,

(b) अप्रत्यक्ष कीमत

(a) प्रत्यक्ष कीमत

1. आँशिक या पूर्ण विकलांग होने पर श्रमिक को क्षतिपूर्ति (Compensation) प्रदान करनी पड़ती है।

2. कार्यरत श्रमिक के दुर्घटनाग्रस्त होने पर उसके इलाज एवं देखरेख के लिए धन देना पड़ता है।

3. क्षतिग्रस्त सामग्री एवं मशीन/उपकरण का मूल्यमान (Money value), उसके मरम्मत में होने वाला व्यय अथवा क्षतिग्रस्त मशीन/उपकरण को बदलने के लिए व्यय होने वाला धन उद्योग को चुकाना पड़ता है।

(b) अप्रत्यक्ष कीमत-

1. चोटग्रस्त श्रमिक के व्यय हुये समय की कीमत उद्योग को चुकानी पड़ती है।

2. श्रमिक अशांति उत्पन्न होती है तथा उत्सुकता, सहानुभूति अथवा घायल श्रमिक की सहायता करने में अन्य श्रमिकों का भी समय व्यर्थ जाता है जिसकी कीमत भी अप्रत्यक्ष रूप से उद्योग को चुकानी पड़ती है।

3. फोरमैन, सुपरवाइजर, सुरक्षा इंजीनियर तथा अन्य अधिकारियों का समय भी विभिन्न कारणों जैसे घायल श्रमिक की मदद करने, दुर्घटना के कारणों का पता लगाने, घायल श्रमिक के स्थान पर दूसरे श्रमिक से कार्य करवाने के लिए उसे प्रशिक्षित (Trained) करने आदि में नष्ट होता है।

4. स्थानापन्न (Substitute) श्रमिक के उत्पादन तथा गुणवत्ता का स्तर कम होता है। 5. उत्पादन कार्य में बाधा आती है तथा कुछ समय के लिए उत्पादन रुक जाता है।

6. औद्योगिक प्रतिष्ठान के वातावरण पर कुप्रभाव पड़ता है, श्रमिकों का मनोबल भी कम होता है तथा अशांति के कारण हड़ताल, तालाबन्दी जैसी प्रतिकूल परिस्थितियाँ भी पैदा हो सकती हैं।

(ii) श्रमिक पर प्रभाव (Effect on Worker) — दुर्घटना में घायल श्रमिक तथा उसके परिवार पर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है, जैसे—

1. यदि श्रमिक की दुर्घटना में मौत हो जाये तो परिवार में कमाने वाला सदस्य नहीं रहता है जिससे उनके सामने रोजी- रोटी कमाने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

2. स्थायी विकलांगता होने पर श्रमिक को अपनी नौकरी गँवानी पड़ सकती है।

3. विकलांग होने पर मिलने वाली क्षतिपूर्ति (Compensation) उसकी कमाई की तुलना में बहुत कम होती है।

4. चोटग्रस्त होने के बाद श्रमिक के आत्मविश्वास और कौशल में कमी आती है।

5. एक बार चोटग्रस्त हो जाने के बाद श्रमिक पुनः घटनास्थल पर जाने से डरता है या उस कार्य को करने में संकोच करता है।

6. अपंग होने पर श्रमिक को शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक कष्ट सहना पड़ सकता है।

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(iii) समाज पर प्रभाव (Effect on Society) — चोटग्रस्त होने पर श्रमिक को क्षतिपूर्ति मिलने के बावजूद भी उसको अनेक दशाओं में समाज की सहायता की आवश्यकता पड़ती है जिससे समाज पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। इसके अतिरिक्त भी समाज पर दुर्घटना का निम्न प्रभाव पड़ता है-

1. बाजार में उत्पाद की उपलब्धता पर असर पड़ता है।

2. उत्पाद की कीमत अधिक बढ़ सकती है क्योंकि प्रबन्ध तन्त्र दुर्घटना से हुये नुकसान की भरपाई कीमत बढ़ाकर कर सकता है।

3. क्षतिपूर्ति अधिनियम के अन्तर्गत अगर किसी दुर्घटना के लिए क्षतिपूर्ति का प्रावधान न हो तो ऐसी श्रमिक के परिवार पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है तथा वह समाज से सहायता मांगने के लिए मजबूर हो जाता है।

(iv) राष्ट्र पर प्रभाव (Effect on State) – यदि राष्ट्रहित की दृष्टि से देखा जाये तो चाहे श्रमिक का नुकसान हो, समाज का हो या उद्योग का हो अन्ततः राष्ट्रीय उत्पादन में कमी आती है और राष्ट्र आर्थिक रूप से कमजोर होता है-

Adverse Effect of Accident in hindi

reference – https://www.google.com/url?y.com%2Facademy%

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